प्रिय पाठकों अभी तक आपने पढ़ा सनी आयुष को अपने प्लान के बारे में बताता है। आयुष सनी से उस लड़के के बारे में पूछता है। सनी उसी लड़का के बारे में आयुष को बताता है जो लड़का आज शाम आयुष को चिढ रहा था। उस लड़के के बारे में सुनते ही आयुष के मुँह से बस इतना ही निकलता है आदित भइया। इसके आगे आयुष कुछ भी नहीं बोलता है। और अब आगे..........
वो चुपचाप बैठा हुआ था। आदित नाम सुनकर सनी भी हक्का बक्का हो गया था। क्योंकि अभी थोड़ी देर पहले ही कल्पना में वो उस बालक का नाम सुना था। सनी भी बिल्कुल चुप था। सनी अभी भी यही सोच रहा था की कल्पना हकीकत कैसे हो सकता है। अच्छा तो वो तुम्हारा भाई है कुछ देर के बाद सनी ने आयुष से पूछा। हाँ अपना तो नहीं है पर है तो भाई ही आयुष ने कहा। अपना तो नही मतलब सनी ने पुनः पूछा। यह एक लंबी कहानी है इसे सुनाऊँगा तो आपका वक़्त जाया होगा आयुष ने कहा। कोई बात नहीं मुझें जानना है सनी ने कहा। यही तो है जिसकी वजह से आज तक मैं अपने पापा से दूर हूँ। इसी की वजह से मुझें कभी पापा का प्यार नसीब नही हुआ। इसे तो मेरा दुश्मन होना चाहिए खैर मैं कभी इसे अपना दुश्मन नहीं मानता इसे हमेसा ही मैं अपना भाई मानता हूँ यही है मेरी माँ का सौतन का बेटा यानी की मेरा सौतेला भाई। उसके नसीब में तो पापा का भी प्यार है मैं ही हूँ जिसका नसीब खराब है आयुष ने कहा। तुम्हारे बारे में सुनकर दुःख हुआ और शायद यही दर्द है जो तुम्हारी आँखो में चमकती रैहती है मैं समझ सकता हूँ मैं समझ सकता हूँ। आयुष के कंधों पर हाथ रखते हुए सनी ने दुःख जताते हुए कहा। कोई बात नहीं भइया मुझें लगता है की अब मुझें जाना चाहिए। रुको आयुष मुझें तुम्हें एक बात बतानी है सनी ने आयुष को रोकते हुए कहा। आप बेझिझक बता सकते है मैं सुनने के लिए तैयार हूँ आयुष ने कहा। दुःख के साथ कैहना पर रहा है की मैं अपने गाँव लौट रहा हूँ हो सके तो मुझें माफ कर देना मैं तुम्हारे साथ दोस्ती न निभा सका। हो सकता है की दुबारा फिर कभी मैं दिल्ली न आऊँ मुझें माफ कर देना दोस्त सनी ने कहा। कोई बात नहीं है भइया जब आप गाँव लौट ही रहे है तो उसमें भला मैं क्या ही कर सकता हूँ लेकिन जाने से पहले आखरी बार मुझसे मिलकर जाइएगा। मैं आपको याद करूँगा इसके आगे आयुष ने कुछ भी नहीं कहा और वहाँ से उठकर जाने लगा। इतने में ही आदित आयुष को ढूंढता हुआ वहाँ आ गया। जा रहा था मैं घर पर ही जा रहा था बस सनी भइया से कुछ बाते करते हुए देर हो गई आदित को देखते ही आयुष ने कहा। तुम्हारी मम्मी तुम्हे बुला रही है आदित ने कहा। हाँ जाता हूँ आदित भइया लेकिन उससे पहले मुझें आपसे कुछ कैहना है आयुष ने कहा। क्या? आदित ने पूछा। ये सनी भइया है आप चाहे तो कुछ पल इनके साथ बात कर सकते है और इनके साथ कुछ पल बिता सकते है आयुष ने सनी की तरफ इशारा करते हुए कहा। माफ करना मुझें अजनबियों के साथ समय बिताना पसंद नहीं है आदित ने कहा। फिर भी अगर आपका मन हो तो आप बात कर सकते है वैसे भी ये अपने गाँव जा रहे है अगर आप इनका थोड़ा सा मन बहलाए तो इनको अच्छा लगेगा कैहकर आयुष चला गया। आयुष के चले जाने के बाद आदित आकर सनी से कुछ दूरी पर बैठ गया। आदित कुछ बोल नहीं रहा था शायद से उसे सनी से बात करने में डर सा लग रहा था या फिर उसे समझ नहीं आ रहा था की वो कहाँ से शुरू करे। वो बस चुपचाप बैठा सनी को देख रहा था। सनी भी कुछ देर तक उसे देखता रहा फिर सनी अपना सामान पैक करने लगा। कल की ही उसकी टिकट थी। तो अपने गाँव कब जा रहे है आप आदित ने पूछा। बस कल सुबह ही कल दोपहर का ही टिकट है निजामुदीन से सनी ने कहा। वैसे आयुष को आप कैसे जानते है आदित ने फिर पूछा। बस मैं उसे अच्छा लगा था इसीलिए उसने मुझसे दोस्ती कर लिया सनी ने जबाब दिया। वैसे तुम्हारे और आयुष के पापा एक ही है सनी ने पूछा। हाँ बस मम्मी अलग-अलग है आदित ने कहा। वैसे आप तो आयुष को बहुत प्यार करते है गाँव जाकर आपको उसका याद नहीं आएगा आदित ने एक बार फिर पूछा। शायद मुझें उसका याद आएगा सनी ने कहा। मुझें लगता है की मुझें अब जाना चाहिए आदित ने कहा। तुम चाहो तो कुछ पल और यहाँ रुक सकते हो अगर तुम्हारे मन में कुछ और सवाल है तो पूछ सकते हो सनी ने कहा। मैं जानता हूँ आप आयुष को बहुत प्यार करते है आप आयुष की मम्मी से शादी क्यूँ नही कर लेते आदित ने कहा। यह तुम क्या बोल रहे हो मैं शादीशुदा हूँ मेरी औरत है गाँव में सनी ने कहा। फिर भी आप चाहे तो कर सकते है गाँव से आपकी औरत थोड़ी न देखने आएगी यहाँ आदित ने कहा। अरे नही-नही मैं वैसा नहीं हूँ मैं ऐसा नही कर सकता सनी ने कहा। अब मुझें जाना चाहिए देर हो रही है आदित ने कहा। हाँ तुम जा सकते हो मैं तुम्हें रोकूँगा नही सनी ने कहा। सनी से बाते करने के बाद आदित चला गया। सनी भी अपने सामान का पैकिंग कर चुका था। आदित के चले जाने के बाद वो भी सो गया। सनी को गैहरी नींद आ गई थी। सुबह हो चुकी थी सुबह के लगभग सात बज चुके थे तब जाकर सनी का नींद खुला। उठकर सनी चाय बनाया और अपने कमरे में बैठकर चाय पीने लगा। हमेसा की तरह चाय पी लेने के बाद सनी तम्बाकू मलने लगा। इसी बीच आयुष फिर से सनी के पास आ गया था। गुड मॉर्निंग भइया आते ही आयुष ने सनी से कहा। हाँ राधे-राधे सनी ने आयुष को बैठने का इशारा करते हुए कहा। आयुष हमेसा की तरह सनी के बिस्तर पर जाकर बैठ गया।
आयुष क्यूँ आया है सनी के पास। क्या आज की मुलाकात सनी और आयुष की आखिरी मुलाकात है।
क्या दोनों दोस्त एक दूसरे से बिछड़ जाएँगे। क्या सच मे सनी गाँव लौट जाएगा। क्या होगा आगे जानने के लिए पढ़िए अगला भाग और जरूर करे लेखक को फॉलो। कहानी जारी रहेगी..................