प्रिय पाठकों पिछले भाग में आपने पढ़ा सनी उदास उदास रेहने लगा था। जरूर उसे किसी बात की फिक्र या जरूर उसे किसी बात की परेशानी थी। सनी के चेहरे पर पहले जैसा मुस्कान नहीं था। सनी फिर से उसी जगह बालकोनी में खड़ा है। वो बिल्कुल शान्त और उदास है। आज वो कोई हरकत भी नहीं कर रहा है। सनी के कान में ईरफ़ोन लगा हुआ है और सनी चुपचाप एक ही जगह पर खड़ा है और अब आगे.....
कई बार वो बालक भी सनी के सामने से गुजर चुका है जिससे सनी पुत्र प्रेम करता है। फिर भी सनी पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। पता नहीं किस चीज़ के सोच विचार में डूबा हुआ है सनी। पता नहीं वो क्यों उदास है। अब भगवान जाने उसके साथ क्या हुआ है। जिस बालक से उसे इतना प्रेम है उस बालक का चेहरा भी उसके चेहरे पर खुशी नहीं ला पाया तो फिर जरूर ही कोई गंभीर बात है। सनी घंटो तक एक ही जगह उसी तरह उदास खड़ा रहा। शाम ढल गई अंधेरा छा गया और रात भी हो गई। सनी अपने कमरे के अंदर चला गया और बिना खाए पिए ही सो गया। पता नहीं आजकल वो क्यों उदास रैहने लगा था। उसके चेहरे की मुस्कान कहीं खो गई थी। अब तो वो उस बालक को भी देखकर खुश नहीं होता था। पता नहीं क्या हो गया था उसे। वैसे तो अकेले में वो खुद से बातें किया करता था और ठहाके मार-मार कर हँसा करता था। पता नहीं उसकी वो राक्षस जैसी हँसी कहाँ गुम हो गई थी। हाँ सनी में ये आदत था की जब वो अकेला होता था तो वो अपने आप से बात किया करता था और बातों ही बातों में ठहाका मारकर हँसा करता था। पता नहीं उसमें इतनी शांति कैसे आ गई। जाने क्यूँ वो सुस्त सा हो गया है। क्या उसके दिल को गैहरा चोट पहुँचा है लेकिन उसके दिल को चोट पहुँचाएगा भी कौन। क्या सनी उस नन्हे बालक की वजह से उदास है। पता नहीं क्या हुआ था उसके साथ देखने से कुछ समझ नहीं आ रहा था। हो न हो कहीं गाँव में रैह रही बीबी से उसका अन बन हुआ होगा शायद ऐसा हीं हो। गाँव में रैह रही उसकी बीबी माँ बनने बाली थी और इस समय सनी उससे दूर था। दो तीन दिनों से तो उसे उसके बीबी से फ़ोन पर भी बात नहीं हुआ था। अपनों से दूर होने का दर्द क्या होता है ये तो अभी सनी को ही पता होगा। उसके दिल पर क्या बीतता होगा ये तो वही जानें। सुबह के नई ताज़गी के साथ सनी का नींद खुला। आज सनी थोड़ा अच्छा मैहसुस कर रहा था। लेकिन जाने क्यूँ अभी भी उसका मन बेचैन सा था। ऐसा प्रतीत होता था की अब उसका यहाँ दिल नहीं लग रहा था। गाँव लौट जाने का विचार उसके मन में आने लगा था। उसका शरीर तो यहाँ मौजूद था लेकिन उसका दिल गाँव में भटक रहा था। बेचारे की ऐसी हालत हो गई थी की न किसी काम में मन लगता था और न हीं खाने पीने में। दिन भर अपनें कमरे में मोबाइल लेकर पड़ा रैहता था। सुबह का नाश्ता करने में ही एक डेढ़ बज जाता था फिर खाना तो दूर की बात है। कभी-कभी रात को बिना खाना खाए ही वो सो जाता था। आज फ़ोन पर वो किसी से बात कर रहा है। शाम के पाँच बज रहे है। अभी वो बालकोनी में ही खड़ा है। उसके कानों में ईरफ़ोन लगा हुआ है और वो कुछ बुदबुदाए जा रहा है। इसका मतलब है की जरूर वो फ़ोन पर किसी से बात कर रहा है। नीचे वो बालक मौजूद है जिसे सनी हर रोज़ हर पल और हर घड़ी देखा करता है। उस बालक के साथ और भी कुछ बालक है। सभी आपस में खेल रहे है। इसी में से एक बालक ऐसा भी है जिसकी सकल सूरत उस बालक से काफी हद तक मिलती जुलती है जिस बालक को सनी देखा करता है। एकाएक सनी चुप हो गया था न तो कुछ बोल रहा था और न हीं कोई हरकत कर रहा था। बस एकदम से चुपचाप और शान्त खड़ा था। अचानक से सनी की आँखे डबडबा गई और आँसुओं की कुछ बूंदें नीचे गिर पड़ी। आँसुओं की बूंदे एक बालक के गालों पर जा टपकी। बालक ने उन बूंदों का पता लगाने के लिए ऊपर देखा। बालकोनी में सनी अब भी खड़ा था। उसका चेहरा मुरझाया हुआ था आँखे लाल और आँसुओं से डबडबाई हुई थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे क्षण भर में ही उसकी आँखों से समंदर बैह आएगा। बालक सनी को देखकर कुछ पल के लिए सोंच में पड़ गया। उसकी आँखें फटी हुई थी। एक पल के लिए ऊपर बालकोनी में खड़ा सनी और नीचे खड़ा बालक सामान्य नज़र आ रहा था। बस दोनों में फर्क इतना था की सनी की आँखों में आँसू डबडबाया हुआ था तो वहीं बालक की आँखे आश्चर्य से फटी हुई थी। कुछ ही पल में बालक ने खुद को संभालते हुए बोला क्या हुआ भईया जी आप ठीक तो है। उस बालक के ऐसा बोलते हीं बाकी के सभी बालक की नज़र ऊपर सनी पर जाकर टिक गई। एकाएक बालक की आवाज़ सुनकर सनी चौंक पड़ा। आँख मलते हुए और अपनी दशा छुपाते हुए सनी बोला नहीं-नहीं कुछ नहीं मैं बिल्कुल ठीक हूँ। सनी को देखकर बालक को समझ आ गया था की जरूर कोई गंभीर बात है। आप रो क्यूँ रहे थे भईया जी बता सकते है क्या देर न करते हुए बालक ने तुरंत ही पूछा। नहीं-नहीं मैं कहाँ रो रहा था वो तो बस ऐसे हीं अपना गम को छुपाते हुए सनी ने जबाब दिया। नहीं भईया जी आप उदास लग रहे है जरूर कोई बात है कुछ न कुछ जरूर हुआ है आप जरूर कुछ छुपा रहे है बालक ने बड़ी उत्सुकता से कहा। अरे मैंने कहा न मुझें कुछ नहीं हुआ है मैं ठीक हूँ तुम जाओ और अपना काम करो सनी ने खिन्न भाव से कहा।
कहानी जारी रहेगी.........................