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परिंदे भाग-13

20 दिसम्बर 2024

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प्रिय पाठकों अब तक आपने पढ़ा आयुष और सनी बाते कर रहे थे। आयुष के बीते जिंदगी के बारे में जानने की सनी को बहुत उत्सुकता थी। लेकीन फिलहाल सनी को बहुत नींद आ रहा था जिसकी वजह से वो सबकुछ कल पर टाल रहा था। आयुष ने भी यही सनी के कमरे पर सनी के साथ सोने का फैसला किया। आयुष की बातों का सनी ने कोई जबाब नहीं दिया। आयुष सनी के सीने पर सर रखकर सो गया। कुछ ही पल में दोनों को नींद आ गई और दोनों गैहरी नींद में सो गए। और अब आगे..........

आयुष और सनी के सोए हुए देर हो चुकी थी। दोनों के दोनों गैहरी नींद में सोए हुए थे। सो जाने के बाद शायद कोई बालक आयुष को ढूंढता हुआ सनी के कमरे में आया था। सनी के सीने पर सर रखकर सोए हुए आयुष को उसने देख लिया था। वो आयुष को अपने साथ बुलाकर ले गया या फिर ऐसे ही चला गया पता नहीं। शाम को देर से सनी की नींद खुली लगभग सात बज गया था। जब सनी की नींद खुली तब तक आयुष जा चुका था। आयुष कब उठकर चला गया था  सनी को कुछ पता नहीं था। अपने बिस्तर से उठकर सनी बालकोनी की ओर गया। बालकोनी में ही नलकूप लगा हुआ था। नलकूप पर जाकर सनी हाथ मुँह धोने लगा। नीचे कुछ बालक खेल रहे थे उनके साथ शायद आयुष भी था। किसी बालक ने सनी को हाथ मुँह धोते हुए देखा ये बालक और कोई नहीं वही बालक था जो आयुष को ढूंढता हुआ सनी के कमरे में आया था। सनी को देखकर वो आयुष को कुछ कैहने लगा। आयुष वो देखो तुम्हारा फ्रेंड जग गया है। अच्छा एक बात बताओ वो तुम्हारा फ्रेंड ही है न या कुछ और है। आज जिस तरह से तुम उससे चिपके हुए थे मुझें तो मामला कुछ गड़बड़ लगता है। कहीं वो तुम्हारा बॉयफ्रेंड तो नहीं है कैहकर वो बालक आयुष को चिढ़ाने लगा। बहन के लौड़े दोस्त है वो मेरा चिढ़ते हुए आयुष ने कहा। अभी जो अपशब्द आयुष बोला था ये इतना बुरा अपशब्द है की किसी को भी अंदर तक कौंध दे। पर दिल्ली वालों के लिए यह कुछ भी नहीं वो लोग तो इस अपशब्द को इस तरह उपयोग करते है जैसे मानो यह कोई अपशब्द नहीं बल्कि उनका तकिया कलाम हो। नहीं दोस्त नहीं है कुछ और है कैहकर वो बालक फिर से आयुष को चिढ़ाया। तुम लोग बहुत बुरे हो। मुझें तुम लोगो के साथ नहीं रैहना है। जाओ मैं तुम लोगो से बात नहीं करता कैहते हुए आयुष रोने लगा और भन्नता हुआ अपने घर की ओर चला गया। अरे तुम तो इतनी छोटी सी बात का बुरा मान गए मैं तो यू ही मज़ाक कर रहा था, आयुष रुको तो मेरी बात सुनो तो कैहते हुए वो बालक आयुष के पीछे गया। लेकिन कोई फायदा नहीं। जब तक वो बालक आयुष तक पहुँचता तब तक आयुष अंदर से दरवाजा बंद कर चुका था। उपर बालकोनी में खड़ा सनी सब कुछ देख रहा था। आयुष को ऐसी हालत में देखकर सनी को बड़ा अफसोस हुआ आखिर वो करता भी तो क्या करता। वो बालक दरवाजा खटखटाते रैह गया लेकिन आयुष ने दरवाजा नहीं खोला। आयुष भन्नता हुआ जाकर अपने सोफे पर बैठ गया। आज उसका कुछ करने का मन नहीं कर रहा है। न खाना खाने का मूड है और न ही टीवी देखने का। चुपचाप सोफे पर एक कोने में बैठा हुआ है। आज वो गुस्से में है आज वो कुछ नहीं करेगा। न तो खाना खाएगा और न ही टीवी देखेगा किसी से बात भी नहीं करेगा। बालकोनी में खड़ा सनी देर से बालकोनी को देखे जा रहा था। एक बार उसका मन हुआ की वो जाकर आयुष को देखे और उससे उसके हालत के बारे में पूछे फिर पता नहीं क्या सोचकर सनी वहाँ नहीं गया। शायद सनी को वहाँ जाना उचित नहीं लगा। कुछ देर के बाद सनी अपनें कमरे में लौट आया था। वो अब भी आयुष के बारे में सोच रहा था। पता नहीं अब फिर दुबारा आयुष सनी से मिलने आएगा भी या नहीं फिर दोनों की बाते होगी की नहीं सनी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। इसी उधेड़-बुन में रात बीत गई थी। रात के लगभग नौ बज गए थे सनी कुछ सोचता हुआ अपने मोबाइल में गेम खेल रहा था। उसे अब भी आयुष का ही ख्याल आ रहा था। अचानक से सनी के मन में कुछ आया और वो उस बालक के बारे में सोचने लगा जिस बालक को वो पुत्र की तरह प्रेम करता था। सनी ने गेम खेलना बंद कर दिया। सनी अपने बिस्तर से उठा और अपना वो डायरी निकला जिसमें वो अपना कुछ-कुछ नोट लिखा करता था। उस बालक के बारे में सनी ने जितने भी पन्ने में लिखा हुआ था, जो कुछ भी लिखा हुआ था सबको रद्दी-रद्दी कर फाड़ डाला। सनी किसी पागल जानवर की तरह उन पन्नो को नोच रहा था और चीड़ फाड़ कर रहा था। पन्ने फरते हुए सनी के आँखों के सामने वो सारे दृश्य तैर रहे थे जो उसने उस बालक के प्रति सोच रखा था। एक-एक पल का एक-एक दृश्य सनी के कल्पनाचित्र में दिखाई पड़ रहा था।
वो नादान बालक कहीं जा रहा है। सनी उसके पीछे ही तो है। न जाने सनी कब से छुप-छुप कर उस बालक का पीछा कर रहा है। सनी के दिमाग में एक प्लान चल रहा है। सनी उस बालक को अपने साथ एक अनोखे सफर पर ले जाना चाहता है। अगर वो प्यार से मान गया तो ठीक नहीं तो सनी उसका अपहरण करेगा। लेकिन वो शहर वाला है प्यार से तो मानेगा नहीं तो मजबूरन सनी को उस बालक का अपहरण ही करना पड़ेगा। सनी अपनी तरफ से पूरी कोसिस में है की वो बालक प्यार से मान जाए। आखिर सनी उस बालक से चाहता ही क्या है बस उसका थोड़ा सा वक़्त और एक पिता का प्यार। सनी उसे अपने बेटे की तरह प्यार करना चाहता है कुछ पल उसके साथ बातें करना चाहता है और उसके साथ कुछ वक्त बिताना चाहता है। और कुछ भी तो नहीं चाहता है सनी। वो बालक अपने मस्ती में चलते जा रहा था। उसके पीछे ही कुछ दूरी पर सनी छुप-छुप कर उसके पीछे-पीछे चल रहा था। सनी को कुछ मालूम नहीं था की आखिर वो बालक जा कहाँ रहा है।
क्या होगा आगे। क्या उस बालक को पता चल जाएगा की कोई उसका पीछा कर रहा है। क्या सच में सनी उस बालक का अपहरण कर लेगा। क्या आयुष फिर से सनी के पास आएगा। आयुष और सनी की दोस्ती बनी रहेगी या फिर टूट जाएगी। जानने के लिए पढ़िए अगला भाग।
और जरूर करे लेखक को फॉलो।
कहानी जारी रहेगी.............................

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रचनाएँ
Parindey
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अपने गर्भबति पत्नी को छोड़कर सनी गाँव से सहर आ गया था। सनी पैसे कमाने के लिए गाँव छोड़कर शहर तो आ गया था लेकिन यहाँ उसे कोई नौकरी नहीं मिली थी। यहाँ सनी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। वो काफी अकेला और उदास रैहता था। इसी बीच आयुष नाम के एक लड़के से उसको दोस्ती हो जाता है। आयुष सनी के साथ काफी समय बीतता है और वो सनी को एक बाप की तरह प्यार करने लगता है। जब सनी गाँव लौट रहा होता है तब आयुष उसके साथ कुछ ऐसा करता है जिसकी सनी से कल्पना भी नहीं की थी। कैसे आयुष ने सनी के जीवन में नई रौशनी डाली, और क्या उसकी मित्रता सनी को एक नया उद्देश्य देने में सफल होगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए "Parindey"
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7 दिसम्बर 2024
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8 दिसम्बर 2024
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10 दिसम्बर 2024
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11 दिसम्बर 2024
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14 दिसम्बर 2024
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प्रिय पाठकों अभी तक आपने पढ़ा सनी आयुष को अपने प्लान के बारे में बताता है। आयुष सनी से उस लड़के के बारे में पूछता है। सनी उसी लड़का के बारे में आयुष को बताता है जो लड़का आज शाम आयुष को चिढ रहा था। उस लड़के

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परिंदे भाग-17

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प्रिय पाठकों अब तक आपने पढ़ा आयुष को ढूंढता हुआ आदित भी सनी के कमरे पर आ गया था। आदित को देखते ही आयुष ने घर जाने के बारे में कहा। आदित चुपचाप सनी के पास आकर बैठ गया था। कुछ पल दोनों में बातें हुईं। सन

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26 दिसम्बर 2024
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