shabd-logo

परिंदे भाग-10

17 दिसम्बर 2024

2 बार देखा गया 2

प्रिय पाठकों अब तक अपनें पढ़ा आयुष चाहता था की सनी सिर्फ उसी का दोस्त बने। सनी और आयुष के दोस्ती के बीच में अमित आ जा रहा था। आयुष का अब तक एक भी अच्छा दोस्त नहीं था। सनी अपनी आदत अनुसार देर से ही उठता था। आज भी वो घोड़े बेचकर ही सोया हुआ था। सुबह के तर्किबन नौ बज गए थे। अचानक से किसी बालक की मीठी आवाज़ों से सनी का नींद खुला और अब आगे.......................

भईया उठ जाइए बहुत देर हो गई है। देखिए तो नौ बज गया है। आयुष सनी के कमरे में आ चुका था। सनी के बगल में बैठकर वो सनी को हिला-हिला कर जगा रहा था। बालक का आवाज़ सुनकर हड़बड़ाहट में सनी का नींद खुला। कौन कैहते हुए सनी एक ही झटके में उठ बैठा। सनी के पैरों के पास आयुष बैठा हुआ था। आयुष को देखकर सनी कुछ संभला। तुम! , तुम यहाँ अभी इस वक़्त अपना आँख मलते हुए सनी ने आयुष से पूछा। आप इतनी देर तक सोते रैहते है क्या आयुष ने बड़ी मासूमियत से पूछा। अब मैं देर तक सोउ या सुबह जल्दी उठु इससे तुम्हें क्या दिक्कत होने लगी भला। कैहते हुए सनी उठकर बैठ चुका था। नहीं मैंने तो बस यूं ही पूछ लिया। कैहते हुए आयुष फुले नहीं समा रहा था। सनी को लेकर उसके मन में अजीबोगरीब कल्पना चलती रैहती थी। सनी को अपनें दोस्त के रूप में पाकर वो जितना खुश होता उतना खुश शायद ही कोई और होता। सारी बातों से अनजान सनी के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। भइया एक बात पूछूँ आयुष ने बड़े ही कौतूहल से पूछा। क्या सुबह-सुबह तुम भी परेशान करने आ गए हो अभी तो उठकर हाथ मुँह भी नहीं धोया हूँ मैं कैहते हुए सनी उठकर किचेन की ओर जाने लगा। सनी के पीछे-पीछे आयुष भी हो लिया। सुबह उठकर चाय पीने के बाद ही सनी कोई काम करता था। दो कमरों के बीच एक छोटा पतला सा कमरा था जो की किचेन था। सनी किचेन के अंदर रुख कर चुका था सनी के साथ-साथ ही आयुष भी था। सामने ही दीवार से लगकर बना रैख पर गैस चूल्हा रखा हुआ था। चूल्हे के ठिक बगल में दूध का एक पैकेट और कुछ रस्क पड़ा हुआ था। किचेन की हालात कुछ ऐसी थी की देखने पर प्रतीत हो रहा था जैसे एक अर्से से कोई यहाँ रैहता ही न हो। सनी दूध का पैकेट खोलकर चाय बनाने लगा। सुनो तुम चाय पियोगे क्या चाय बनाते-बनाते सनी ने आयुष से पूछा। नहीं-नहीं मैं चाय नहीं पीता चाय पीना अच्छी बात नहीं होती है आयुष ने बड़ी ही मासूमियत से जबाब दिया। जल्दी ही सनी चाय बना चुका था। चाय और रस्क के साथ सनी अपने कमरे में लौट आया। बिस्तर के एक तरफ सनी पालथी जमकर बैठ गया और चाय में रस्क डुबोकर खाने लगा। ये क्या भइया आप बिना ब्रश किए ही खा लेते है आयुष ने आश्चर्यता के साथ सनी से पूछा। हाँ तो इसमें बुरा क्या है मैं ब्रश करके खाउ या फिर खाने के बाद ब्रश करूँ बात तो एक ही है सनी ने चाय सुड़कते हुए कहा। इतने देर में वो सारा का सारा रस्क खा चुका था अभी वो बचे हुए चाय को सुड़क रहा था। लेकिन यह अच्छी आदत नहीं होती है हमें ब्रश करके ही खाना चाहिए आयुष ने कहा। चाय खत्म करने के बाद सनी तम्बाकू मलने लगा था। आरे बाप रे आप तम्बाकू भी खाते है आप कितने गंदे है आयुष ने सनी की तरफ आश्चर्यता से देखते हुए कहा। हाँ खाता हूँ और तम्बाकू खाने से कोई अच्छा या बुरा नहीं होता। अच्छा तुम एक काम करो अभी तुम जाओ बाद में आना आयुष को कैहते हुए सनी बाथरूम के अंदर चला गया। कोई बात नहीं भइया मैं जरा देर इंतज़ार कर लूँगा आयुष ने कहा और वहीं सनी के कमरे में बैठकर सनी का इंतज़ार करने लगा। आयुष को एक पल भी सनी से दूर रैहना अच्छा नहीं लगता था। क्या यही प्रेम है, क्या यही दोस्ती का फर्ज है या फिर कुछ और। लगभग दस मिनट के बाद सनी बाथरूम से बाहर निकला। सनी पूरी तरह से फ्रेस हो चुका था। कमरे के अंदर आकर वो गमछे से हाथ मुँह पोछने लगा। आयुष अभी भी कमरे में ही बैठा था। तुम गए नहीं अभी तक आयुष को कमरे में ही बैठा देख सनी ने पूछा। नहीं भइया मैं नहीं गया आयुष ने बड़े मासूमियत से कहा। तुम्हारा स्कूल नहीं है क्या पढ़ने नहीं जाते हो तुम पूछते हुए सनी अपने बिस्तर पर लेट गया और मोबाइल में गेम खेलने लगा। नहीं अभी स्कूल नहीं है वो गर्मी की छुट्टी पड़ी हुई है न इसीलिए स्कूल बंद है। पढ़ता हूँ ट्यूशन पढ़ने के लिए तो जाता ही हूँ आयुष ने सनी की तरफ देखते हुए कहा। अच्छा ये बात है अपने मोबाइल में देखते हुए सनी ने इतना ही कहा। इससे आगे वो कुछ नहीं बोला वो मोबाइल में गेम खेलते हुए व्यस्त सा हो गया था। एक बात बताइए भइया आप मुझसे बात क्यों नहीं करना चाहते आयुष ने बड़े ही कौतूहल से पूछा। तुमसे क्या मैं किसी से भी बात नहीं करना चाहता मैं अकेला रैहना चाहता हूँ बस। सनी ने मोबाइल में ही देखते-देखते कहा। फिर भी उसका आँख देखकर प्रतीत हो रहा था की इस अकेलेपन के पीछे एक गैहरा राज़ छिपा हुआ है एक ऐसा राज़ जिसमें सिर्फ दर्द ही दर्द है। सनी की आँखों में झाँकने पर वो दर्द साफ-साफ दिखाई पड़ता था। पर ऐसा क्यों भइया कोई तो कारण होगा अकेला रैहने का इस तरह कोई अकेला तो नहीं रैहता। आयुष ने पुनः पूछा। तुम कारण जानकर क्या करोगे हाँ क्या करोगे तुम जानकर मेरा प्रॉब्लम तुम ठिक तो नहीं कर दोगे न कोई जरूरत नहीं है तुम्हें मेरे जख्मो को कुरेदने का अपना काम से काम रखो बस सनी झुंझलाकर बोला। सनी के झुंझलाने से आयुष सहम सा गया। उसे इस तरह किसी ने नहीं डाँटा था। आयुष की आँखे डबडबा गई। आँसुओं से भड़ी हुई आँखे और उदास चेहरे के साथ आयुष कुछ पल वहीं चुपचाप बैठा रहा।

क्या होगा आगे। क्या आयुष रो पड़ेगा। क्या सनी और आयुष में दोस्ती हो पाएगा। सनी नरमी के साथ आयुष को दुलारेगा या फिर डाँटकर भगा देगा। क्या आयुष को सनी के रहस्य के बड़े में पता चल पाएगा। क्या दोनों को के बीच में फिर से अमित आएगा और दोनों की दोस्ती अधूरी रैह जाएगी। क्या सनी गाँव लौट पाएगा। जानने के लिए पढ़िए अगला भाग। और जरूर करें लेखक को फॉलो।
कहानी जारी रहेगी.................................


13
रचनाएँ
Parindey
0.0
अपने गर्भबति पत्नी को छोड़कर सनी गाँव से सहर आ गया था। सनी पैसे कमाने के लिए गाँव छोड़कर शहर तो आ गया था लेकिन यहाँ उसे कोई नौकरी नहीं मिली थी। यहाँ सनी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। वो काफी अकेला और उदास रैहता था। इसी बीच आयुष नाम के एक लड़के से उसको दोस्ती हो जाता है। आयुष सनी के साथ काफी समय बीतता है और वो सनी को एक बाप की तरह प्यार करने लगता है। जब सनी गाँव लौट रहा होता है तब आयुष उसके साथ कुछ ऐसा करता है जिसकी सनी से कल्पना भी नहीं की थी। कैसे आयुष ने सनी के जीवन में नई रौशनी डाली, और क्या उसकी मित्रता सनी को एक नया उद्देश्य देने में सफल होगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए "Parindey"
1

परिंदे भाग-1

6 दिसम्बर 2024
0
0
0

यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है। किसी भी व्यक्ति वस्तु या स्थान से इसका कोई संबंध नहीं है। और न ही किसी घटना से इसकी समानता होती है। यह कहानी न तो किसी के साथ घटित हुआ है और न ही किसी के जिंदगी पर न

2

परिंदे भाग-2

7 दिसम्बर 2024
0
0
0

प्रिय पाठकों पिछले भाग में आपने पढ़ा एक सख्स जो अपनी जिंदगी से बहुत परेशान है। उसका नाम सनी है हाल ही पहले जो गाँव से शहर आया है। मकान के दूसरे मंज़िल पर सनी का कमरा है जहाँ एक बालकोनी भी है। बालकोनी मे

3

परिंदे भाग-3

8 दिसम्बर 2024
0
0
0

प्रिय पाठकों पिछले भाग में अपनें पढ़ा एक सख्स जिसका नाम सनी है। वो अपनी जिंदगी से बहुत परेशान है। हाल ही पहले सनी गाँव से शहर आया है। इसके अलावा उसका दो दोस्त अमन और सुमन भी गाँव से शहर आ गया है। शहर म

4

परिंदे भाग-4

10 दिसम्बर 2024
0
0
0

प्रिय पाठकों पिछले भाग में आपने पढ़ा सनी गाँव से शहर आ गया था। सनी के साथ उसके दो दोस्त अमन और सुमन भी शहर आए हुए थे। सनी एक कैदी की तरह रैह रहा था वो अपने कमरे से भी बाहर निकलना पसंद नहीं करता था। अमन

5

परिंदे भाग-5

11 दिसम्बर 2024
0
0
0

प्रिय पाठकों पिछले भाग में आपने पढ़ा सनी उदास उदास रेहने लगा था। जरूर उसे किसी बात की फिक्र या जरूर उसे किसी बात की परेशानी थी। सनी के चेहरे पर पहले जैसा मुस्कान नहीं था। सनी फिर से उसी जगह बालकोनी में

6

परिंदे भाग-6

12 दिसम्बर 2024
0
0
0

अब तक आपने पढ़ा सनी कोई गंभीर बात को लेकर उदास रैहता था। उसके चेहरे की हँसी कहीं खो गई थी। शाम का वक़्त है सनी बालकोनी में उदास खड़ा है उसका चेहरा मुरझाया हुआ है और आँखे आँसुओं से डबडबाई हुई है अचानक से

7

परिंदे भाग-7

14 दिसम्बर 2024
0
0
0

अब तक आपने पढ़ा सनी के आँसू की कुछ बूंदे एक बालक के गालों पर जा टपकी थी। बालक ने सनी की ओर देखा और उसे एहसास हुआ की सनी किसी वजह से रो रहा है। बालक ने सनी से बात की और पता लगाने का कोसिस करने लगा की आख

8

परिंदे भाग-8

15 दिसम्बर 2024
0
0
0

अब तक आपने पढ़ा आयुष सनी के कमरे पर आया था। दोनों में बाते हुई दोनों को एकदूसरे से बात करके अच्छा लगा। दोनों दोस्त बनना चाहते थे। शाम को सनी का मन विचलित हो गया तो वो टहलने नीचे आ गया। नीचे अमित से सनी

9

परिंदे भाग-9

16 दिसम्बर 2024
0
0
0

अब तक आपने पढ़ा टहलते-टहलते सनी और अमित बातें कर रहे थे। आयुष किसी भी तरह छुपते छुपाते उनदोनो का पीछा कर रहा था और सुनने की कोसिस कर रहा था की दोनों में आखिर क्या बात हो रही है। कुछ पल के बाद अमित चला

10

परिंदे भाग-10

17 दिसम्बर 2024
0
0
0

प्रिय पाठकों अब तक अपनें पढ़ा आयुष चाहता था की सनी सिर्फ उसी का दोस्त बने। सनी और आयुष के दोस्ती के बीच में अमित आ जा रहा था। आयुष का अब तक एक भी अच्छा दोस्त नहीं था। सनी अपनी आदत अनुसार देर से ही उठता

11

परिंदे भाग-11

18 दिसम्बर 2024
0
0
0

अब तक आपने पढ़ा सनी अपनी आदत अनुसार देर तक ही सोता है। आज भी सनी घोड़े बेचकर सोया हुआ है। आयुष सनी के यहाँ आया है। आयुष सनी को जगा रहा है। सनी और आयुष दोनों साथ में किचेन में होते है। सनी चाय बना रहा है

12

परिंदे भाग-12

19 दिसम्बर 2024
0
0
0

पिछले भाग में आपने पढ़ा आयुष सनी के घर पर था। आयुष और सनी में बाते हो रही थी। सनी आयुष को गाँव के बारे में गाँव में अपनी जिंदगी के बारे में बता रहा था। सनी आयुष को बता रहा था की कोई मुझें नहीं समझता है

13

परिंदे भाग-13

20 दिसम्बर 2024
0
0
0

प्रिय पाठकों अब तक आपने पढ़ा आयुष और सनी बाते कर रहे थे। आयुष के बीते जिंदगी के बारे में जानने की सनी को बहुत उत्सुकता थी। लेकीन फिलहाल सनी को बहुत नींद आ रहा था जिसकी वजह से वो सबकुछ कल पर टाल रहा था।

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए