प्रिय पाठकों अब तक आपने पढ़ा सनी अपने कमरे में कागज को फाड़ रहा था। उसे कुछ घटनाएं अपनें कल्पना में दिख रहा था जो उसने सोचा था। इतने में आयुष चलकर सनी के कमरे तक आ गया था। दोनों में कुछ बाते हुई। सनी आयुष से आने का कारण पूछा था। जब तक मैं आपको देख न लूँ जब तक मैं आपसे बात न कर लूँ तब तक चैन ही नहीं आता। अच्छा तो ये बात है कैहते हुए सनी कागज का चिथड़ा उठा रहा था। और अब आगे..............................
कुछ ही देर में सनी कागज का सारा चिथड़ा जमा कर चुका था। सारे कूड़े को एक पॉलीथिन में भड़ देने के बाद सनी आकर अपने बिस्तर पर बैठ गया। वहीं आयुष भी बैठा हुआ था। तुम्हें पता है की तुम झूठ बोले हो और पकड़े गए हो तुक्का मारते हुए सनी ने कहा। क्या! आप कैहना क्या चाहते है भईया आयुष ने पूछा। पता है अभी रात के दस बज रहे है और अभी तक कोई भी कंपनी किसी महिला को डियूटी पर नहीं रखती तुम्हारी मम्मी डियूटी से लौट चुकी है तुम झूठ बोले हो मुझसे सनी ने कहा। छोड़िए न भईया जाने दीजिए अब जो हुआ सो हुआ आयुष ने कहा। क्या जो हुआ सो हुआ आदत बदलो तुम अपना पहले। घर पर भी नहीं बताया होगा की तुम यहाँ आ रहे हो सनी ने कैहते हुए पूछा। बताकर आया हूँ भईया मम्मी को बताकर आया हूँ मैं। की मैं अपनें दोस्त के घर जा रहा हूँ आयुष ने कहा। अच्छा! क्या तुम्हारी मम्मी ने तुम्हें रोका नहीं इस वक़्त यहाँ आने से सनी ने पूछा। नहीं मैं उन्हें बोलकर आया हूँ की हो सके तो मैं वहीं दोस्त के घर सो जाऊँगा आयुष ने जबाब दिया। खाना खाकर आए हो सनी ने पूछा। नहीं आज खाना खाने का मूड नहीं था इसीलिए नहीं खाया आयुष ने कहा। भईया क्या आज रात मैं यही आपके साथ सो जाऊँ आयुष ने पूछा। नहीं थोड़ी देर बात करने के बाद तुम अपनें घर लौट जाना सनी ने कहा। क्या भईया आप भी आज मैं यही रुक जाऊँगा तो क्या हो जाएगा प्लीज़ भईया रुकने दीजिए न। मुझें आपके साथ रैहना अच्छा लगता है। आयुष ने विनम्रता पूर्वक आग्रह किया। मैंने कहा न नहीं, कुछ खाओगे सनी ने कैहते हुए पूछा। नहीं भईया रैहने दीजिए मुड नहीं है। आपनें खाना खा लिया क्या आयुष ने अपना जबाब देते हुए सनी से पूछा। खाना खाने का आज मेरा भी मूड नहीं है हो सके तो आज मैं भी खाना नहीं ही खाऊँगा सनी ने कहा। भईया आपका व्यवहार अचानक से बदल नहीं गया है। आज आप बेरुखी नहीं दिखा रहे। आप ऐसे तो नहीं थे। कोई तो बात है भईया जो आप मुझसे छुपा रहे है। आयुष ने डरते-डरते सनी से कहा। नही ऐसी कोई बात नहीं है कैहते हुए सनी ने बात को टालना चाहा। नहीं जरूर कोई बात है जो आप मुझसे छुपा रहे है आखिर ऐसा क्या था उस कागज के टुकड़े में जो आपको इतना बेरुखा कर गया आयुष ने ऐसे ही तुक्का भेड़ा। कुछ खास तो नहीं बस कुछ पुरानी यादें थी सनी ने कैहते हुए फिर टालना चाहा। नहीं भईया कुछ तो है जो आप मुझसे छुपा रहे है। आखिर बात क्या है आपको मुझें बताना ही होगा कैहते हुए आयुष जिद करने लगा। देखो जिद मत करो आयुष ऐसी कोई भी बात नहीं है जो मैं तुमसे छुपाउँगा कैहते हुए सनी ने फिर टालने की कोसिस की। लेकिन आयुष भी कहाँ हार मानने वाला था। जब तक वो सच्चाई नहीं जान लेता तब तक वो यहाँ से जाने वाला नहीं था। भईया आप मेरी कसम खाकर कहिए की आप मुझसे कुछ नहीं छुपा रहे। आयुष ने सनी के हाथ को अपने सर पर रखते हुए कहा। वो दरअसल बात यह है की मैं किसी का अपहरण करना चाहता था लेकिन आख़िर में मुझें अपना फैसला बदलना पड़ा सनी ने कहा। क्या अपहरण! कहीं आप मेरा............ इतना बोलकर आयुष चुप हो गया। नहीं ऐसा नहीं है तुम्हारी वजह से ही तो मुझें अपना फैसला बदलना पड़ा। तुम्हें लेकर ऐसा कुछ भी नहीं सोचा था मैंने। अगर तुम मुझें न मिले होते तो शायद मैं गलत रास्ते पर चला जाता सनी ने कहा। फिर कौन है वो जिसका आप अपहरण करने वाले थे और क्यूँ? पैसे के लिए या फिर कोई और वजह था। दिखने में तो आप इतने बुरे नहीं लगते आयुष ने पूछा। बुरा तो मैं था ही लेकिन अब मैं अच्छा बन गया हूँ और शायद इस सब की वजह तुम हो सनी ने कहा। वो कोई था जिसका मैं अपहरण करने वाला था लेकिन शायद अब इतना बोलकर सनी चुप हो गया। आखिर वो था कौन और उसका आप अपहरण क्यूँ करना चाहते थे आयुष ने पूछा। वो मुझें किसी से प्यार हो गया था और मैं उससे बातें करना चाहता था मैं उसके साथ कुछ वक्त बिताना चाहता था। लेकिन आप तो बोले थे की आपका शादी हो चुका है क्या आपने झूठ कहा था। आयुष ने बीच में ही टोकते हुए कहा। मैंने सच ही कहा था मेरी बीबी माँ बनने वाली है सनी ने कहा। तो फिर वो कौन है जिससे आपको प्यार हुआ। आखिर कौन है वो लड़की क्या वो आपके पत्नी से ज्यादा सुंदर है आयुष ने पूछा। नहीं दरअसल मुझें जिससे प्यार हुआ है वो एक लड़की नहीं बल्कि एक लड़का है सनी ने कहा। इतना सुनने के बाद आयुष कुछ देर तक चुप होकर कुछ सोचने लगा। लड़का को लड़का से भी प्यार हो जाता है क्या आयुष ने अचानक से पूछा। हाँ और इसी को दोस्ती कैहते है। दरअसल तुम जो सोच रहे हो वैसा प्यार नहीं दोस्ती वाला प्यार। मुझें एक बाप बेटे वाला प्यार हुआ काश की वो मेरा बेटा होता सनी ने कहा। मैं इतना वक़्त आपके साथ रहा आपके साथ इतना वक़्त बिताया पर कभी आपको मुझसे ऐसा प्यार नहीं हुआ। काश की आप मेरे पापा होते! आयुष ने कहा। खैर छोड़िए क्या आप बताएँगे की वो है कौन? आयुष ने पुनः सनी से पूछा। वो और कोई नहीं वही लड़का है जो आज शाम तुम्हें चिढ़ा रहा था सनी ने कहा। उसका नाम सुनते ही आयुष शांत बैठ गया। उसके मुँह से बस इतना ही निकल पाया आदित भईया। इसके आगे आयुष ने कुछ भी नहीं बोला। वो चुपचाप बैठा हुआ था।
क्या होगा आगे क्या आयुष कुछ करेगा क्या आदित सच में आयुष का भाई है क्या सनी और आयुष की दोस्ती टूट जाएगी आखिर आयुष को अफसोस क्यूँ है की सनी उसके पापा नहीं है दोनों के बीच अब आखिर कौन सा मोड़ आएगा जानने के लिए पढ़िए अगला भाग। और जरूर करे लेखक को फॉलो।
कहानी जारी रहेगी.................