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परिंदे भाग-18

26 दिसम्बर 2024

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प्रिय पाठकों अब तक आपने पढ़ा सारी तैयारी करने के बाद सनी आयुष से मिलने आयुष के घर जाता है। आयुष सनी को गुड़ खिलता है। इस समय आयुष की मम्मी घर पर नहीं होती है। आयुष और सनी बात कर रहे होते है। कुछ ही देर में आयुष की मम्मी वहाँ आ जाती है। सनी जब आयुष की मम्मी को देखता है तो देखता ही रैह जाता है। आयुष की मम्मी सनी से चाय के लिए पूछती है तो सनी मना करने लगता है। इसपर आयुष की मम्मी बोलती है की कम से कम आयुष के लिए तो एक कप चाय पीते जाइए। और अब आगे......................

अब जब बात आयुष की आ गई है फिर तो मुझें न चाहते हुए भी रुकना पड़ेगा कैहते हुए सनी सोफे पर बैठ गया। आयुष की मम्मी चाय बना रही थी। सनी सोफे पर अपना सिर झुकाए हुए बैठा हुआ था। भइया कितने बजे गाड़ी है आपका आयुष ने पूछा। एक बजे से है सनी ने जबाब दिया। फिर तो अभी बहुत समय है आपके पास। मम्मी आप कुछ बना क्यूँ नहीं देती सनी भइया के लिए इन्हे रास्ते में भूख लगेगा तो ये क्या खाएँगे आयुष ने अपनी मम्मी से कहा। तुम्हारे भइया रुक कहाँ रहे है वो तो जाने के लिए बेचैन है अगर थोड़ी देर रुकते तो मैं कुछ न कुछ बनाकर दे ही देती आयुष की मम्मी ने कहा। अरे नहीं-नहीं इसकी कोई जरूरत नहीं है मैं रास्ते में खाना खरीद लूँगा कोई बात नहीं आप कष्ट क्यूँ कीजिएगा सनी ने कहा। भइया फिर भी कुछ तो लेकर जाइए मेरे यहाँ से थोड़ा सा ही ले लीजिए और कुछ नहीं तो  दो तीन रोटी ही ले लीजिए आयुष ने सनी से कहा। आयुष के आगे सनी कुछ नहीं बोल पाया वो चुप ही रैह गया। कुछ ही देर में आयुष की मम्मी चाय बना चुकी थी उन्होंने सनी को चाय दिया और खुद भी एक कप में चाय लेकर बिस्तर पर बैठ गई। क्या बात है मेरा चेहरा देखकर आपका सर क्यूँ नीचे झुक जाता है चाय सुड़कते हुए आयुष की मम्मी ने पूछा। वो कुछ नहीं बस ऐसे ही सनी ने कहा। कहीं आपको शर्म तो नहीं आ रहा आयुष की मम्मी ने फिर पूछा। नहीं-नहीं ऐसी कोई बात नहीं है सनी ने नीचे देखते हुए ही कहा और चाय पीने लगा। आयुष से आपको कैसे दोस्ती हो गया ये शैतान आपको कैसे प्यारा लगने लगा आयुष की मम्मी ने एक बार फिर पूछा। पता नहीं हममें कब और कैसे दोस्ती हो गया आयुष मुझें कब से अच्छा लगने लगा मुझें पता ही नहीं चल पाया। हाँ मैं मानता हूँ अभी बच्चा है थोड़ा नादान होगा लेकिन शैतान तो नहीं है। यह बात भी सही है हर माँ को अपना बच्चा शैतान ही दिखता है पर इंसान का बच्चा इंसान होता है शैतान नही सनी ने कहा। आपका सोचने का तरीका बहुत खूबसूरत है। हाँ है तो इंसान का ही बच्चा लेकिन जैसा का है वैसा ही बनेगा न। मुझें तो कभी-कभी डर लगता है की कहीं अपने पापा की तरह यह भी मुझें छोड़कर न चला जाए। बाते कैहते हुए आयुष की मम्मी के चेहरे पर कोई भाव नहीं था। न तो आँखों में नमी दिख रही थी और न ही चेहरे पर उदासीनता। ऐसा लगता था मानो वर्षों से किसी की इंतज़ार में वो पत्थर बन गई हो। अच्छा एक बात पूछूँ आप बुरा तो नहीं मानेंगे चाय का कप नीचे रखते हुए सनी ने पूछा। पूछिए न क्या बात है आयुष की मम्मी ने कहा। क्या आप अब भी आयुष के पापा के लौटने का इंतज़ार करती है सनी ने पूछा। सनी के इस सवाल के बाद आयुष की मम्मी कुछ देर तक चुप हो गई। मानों उनके पास इस सवाल का कोई जबाब न हो। हाँ एक समय ऐसा था जब मैं इंतज़ार करती थी उनके लौटने का लेकिन अब नही अब दिल भड़ सा गया है कालेजा फट सा गया है। अपने बेटे को भी देखने आना उन्होंने उचित नहीं समझा कैहते हुए आयुष की मम्मी का आँख छलक गया और वो फुट पड़ी। रोते हुए वो सनी को आयुष के पापा का किस्सा सुनाने लगी। वो तभी मुझें छोड़कर चले गए थे जब आयुष एक साल का था उन्होंने कभी आयुष के बारे में नहीं सोचा अपने बेटे तक को छोड़कर चले गए और फिर नही लौटे। वो आज तक नहीं लौटे। अब तो उसने दूसरी शादी भी कर ली है अब वो कौन होते है मुझें पूछने वाले। वो अपने परिवार के साथ वो अपने बच्चे के साथ खुश है। आयुष की मम्मी ने रोते-रोते सारा किस्सा कैह सुनाया था। हाँ मुझें आयुष ने बताया था आदित के बारे में आपके साथ जो हुआ उसके लिए मुझें अफसोस है मुझें अब जाना चाहिए देर हो रही है सनी ने कहा। हाँ थोड़ी रोटियाँ रख देती हूँ रास्ते में खा लीजिएगा अपना आँसू पोछते हुए आयुष की मम्मी ने कहा। इसकी कोई जरूरत तो नहीं थी लेकिन आप इतना जिद कर रहे है तो एक दो रोटी रख दीजिए सनी ने कहा। आप फिर दिल्ली कब आ रहे है रोटी पैक करते हुए आयुष की मम्मी ने पूछा। शायद अब फिर कभी मैं दिल्ली न आऊँ सनी ने कहा। गाँव जाकर आपको आयुष का याद नहीं आएगा आयुष की मम्मी ने फिर पूछा। हाँ याद तो आएगा लेकिन क्या करूँ मैं मजबूर हूँ फिलहाल मुझें गाँव लौटना ही होगा और यह बात तय है की मैं दुबारा शायद दिल्ली न आऊँ सनी ने कहा। आयुष आपको बहुत याद करेगा हो सके तो आप अपना फ़ोन नंबर देकर जाइएगा उसे आपके अलावा कोई उसका अच्छा दोस्त नहीं है आयुष की मम्मी ने खाने का टिफिन सनी के हाथ में देते हुए कहा। हाँ उसे मैं अपना नंबर देते जाऊँगा उसे कभी मेरा याद आए तो वो फ़ोन कर सकता है अब मैं चलता हूँ सनी ने कहा। कभी-कभी आयुष से मिलने आते रहिएगा आयुष की मम्मी ने कहा। हाँ अगर संभव हो तो मैं जरूर आऊँगा अगर फिर से दिल्ली आने का मौका मिला तो मैं सोच रहा हूँ की मैं कभी यहाँ से वापस न जाउँ मेरा भी दुनियाँ यही बसे सनी ने कहा। वो सब तो आपके हाथ में है आप चाहे तो दिल्ली में ही रैहकर अपना दुनिया बसा सकते है आयुष की मम्मी ने कहा। लेकिन फिलहाल तो मुझें जाना ही होगा क्योंकि मेरा जाना जरूरी है आप बहुत अच्छी है और खूबसूरत भी अब मैं चलता हूँ सोफे से उठते हुए सनी ने कहा। आयुष की मम्मी ने सनी के बातों का कोई जबाब नहीं दिया।
क्या होगा आगे क्या आयुष की मम्मी को भी सनी की तरह कुछ-कुछ होने लगा है। क्या सनी फिर कभी दिल्ली वापस आएगा। क्या आयुष और सनी की ये मुलाकात उनकी आखरी मुलाकात है। या फिर सनी आयुष के लिए दिल्ली वापस आएगा जानने के लिए पढ़िए अगला भाग और जरूर करे लेखक को फॉलो।
कहानी जारी रहेगी..............................................

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रचनाएँ
Parindey
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अपने गर्भबति पत्नी को छोड़कर सनी गाँव से सहर आ गया था। सनी पैसे कमाने के लिए गाँव छोड़कर शहर तो आ गया था लेकिन यहाँ उसे कोई नौकरी नहीं मिली थी। यहाँ सनी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। वो काफी अकेला और उदास रैहता था। इसी बीच आयुष नाम के एक लड़के से उसको दोस्ती हो जाता है। आयुष सनी के साथ काफी समय बीतता है और वो सनी को एक बाप की तरह प्यार करने लगता है। जब सनी गाँव लौट रहा होता है तब आयुष उसके साथ कुछ ऐसा करता है जिसकी सनी से कल्पना भी नहीं की थी। कैसे आयुष ने सनी के जीवन में नई रौशनी डाली, और क्या उसकी मित्रता सनी को एक नया उद्देश्य देने में सफल होगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए "Parindey"
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6 दिसम्बर 2024
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7 दिसम्बर 2024
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12 दिसम्बर 2024
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14 दिसम्बर 2024
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16 दिसम्बर 2024
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22 दिसम्बर 2024
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