एक बार जब वे सभी मैच के लिए स्टेडियम पहुँचे तो वे मैदान में अपनी हॉकी किट लाने के लिए किसी माली या ब्वॉय को पुकारने लगे। उन लोगों को पुकारने पर भी कोई नहीं आया तो उन्हें सामने से एक दूसरी टीम आती दिखाई दी। उन लोगों ने अपने-अपने हाथों में अपनी किट उठा रखी थी।
ध्यान चंद भारतीय फील्ड हॉकी के भूतपूर्व खिलाड़ी एवं कप्तान थे। भारत एवं विश्व हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाडड़ियों में उनकी गिनती होती है।उनका जन्म एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था। वे तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे ( जिनमें १९२८ का एम्सटर्डम ओलम्पिक , १९३२ का लॉस एंजेल्स ओलम्पिक एवं १९३६ का बर्लिन ओलम्पिक)। उनकी जन्मतिथि को भारत में "राष्ट्रीय खेल दिवस" के रूप में मनाया जाता है।