आंखों को उसका इंतजार करते देखा है,
हां हमने भी खुदको आज तड़पते देखा है!
बोला गया है हमको पत्थर ही तो हर बार जबकि, हमने भी आज खुदको रोते देखा है।
प्यार का हमने कभी कोई कदर ना देखा,
हां प्यार तो देखा पर उसकी फिक्र ना देखा!
मुहब्बतों का क्या है हर एक से हो ही जाती है,
मुहब्बतों को निभाने वाला ना हमने नही देखा है।
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