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प्यार

20 अगस्त 2022

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कहते है प्यार की कोई उम्र नहीं होती है। लेकिन मेरे मुताबिक अगर “सच्चे प्यार” जैसी कोई चीज है तो वो इसी उम्र में होती है– “सोलह की उम्र।”

आपने वो गाना तो जरूर सुना होगा– 
“सोलह बरस की, बाली उमर को सलाम
ए प्यार तेरी, पहली नज़र को सलाम, सलाम
ए प्यार तेरी, पहली नज़र को सलाम...."

अधिकतर लोगों को पहला प्यार इसी उम्र में होता है, लेकिन सबको मंजिल नहीं मिलती। वो हमसफर हमारी जिंदगी में साथ तो नही होता लेकिन उससे जुड़ी सारी बाते अंत तक हमारे साथ होती है। वो उम्र हमे प्यार की सही परिभाषा बता जाती है, वो उम्र हमे प्यार करना सीखा जाती है।

शनिवार की सुहानी सी सुबह, और मैं अपनी सुबह की शुरुआत पढ़ाई से करता था। आज ट्यूशन भी था तो एक घंटा पढ़ने के बाद मैं उठा और तैयार होकर ट्यूशन के लिए निकल गया। ट्यूशन जैसे ही पहुंचा मेरी नजर उस पर पड़ी– आकृति, वो मुझे बहुत अच्छी लगती थी। उसकी सादगी मुझे हमेशा भाती थी, उसकी वो झील सी सुनहरी आंखे और जब वो उन पर काजल लगा कर आती थी तो मन करता था डूबा रहूं उन आंखों में और उसके गूंथे हुए बाल मानो मेरा दिल उनके बीच में अटक सा गया हो।

आज तो वो गजब ही लग रही थी मैंने उसे देखा और बस देखता ही रह गया। मैं जम– सा गया था मुझे उसके अलावा और कुछ नहीं दिख रहा था और तब तक में एक आवाज आती है–“अबे अंदर आजा भाई, बाहर ही रहेगा क्या" और मेरा ध्यान टूट जाता है। मुझे बहुत गुस्सा आता हैं मैं अंदर जाता हूं और उससे कहता हूं– “साले, थोड़ी देर चुप नहीं बैठ सकता था क्या?" वो शायद मेरे गुस्से का कारण समझ जाता है और उस समय मुझसे कुछ नही कहता है। आज तक मेरे और आकृति के बीच कोई भी बात नहीं हुई थी। टयूशन से निकलते या घुसते समय हम काफी बार टकराए कई बार आमना– सामना भी हुआ पर उसने एक शब्द तक नहीं बोला होगा। काजल और प्रियंका से उसकी अच्छी दोस्ती थी और वो सिर्फ उन्ही से बातें करती थी वरना किसी भी लड़के को यह यकीन हो जाए की आकृति बोल नही सकती है। आज वो बहुत सुंदर लग रही थी और मैं चाहता था कि यह पल कभी खत्म ही ना हो। वह मुझे किसी सुंदर सपने जैसी लग रही थी और मैं इसे अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देना चाहता था लेकिन आखिरकार ट्यूशन खत्म हो गया।

वैसे तो हम ट्यूशन के बाद भी साथ होते थे क्योंकि उसका घर मेरे घर से थोड़ा दूर था और ट्यूशन से निकलकर एक मोड़ तक हम सब साथ ही आते थे। वहां से काजल और प्रियंका अलग रास्ते पर चली जाती थी और मेरे दोस्त तो पहले ही मुड़ जाते थे। उस मोड़ से मेरे घर की गली तक मैं और आकृति साथ होते थे। वो आगे–आगे और मैं पीछे–पीछे, हम चुप–चाप चलते थे लेकिन मेरी उस चुप्पी में भी मैं उससे बहुत कुछ कह देता था। वो रास्ता अब भी मुझे उतना ही प्यारा लगता है।

उस दिन भी हम सब साथ जा रहे थे लेकिन मेरी चाल में अलग ही धीमापन था जो अक्सर देखने को नहीं मिलता था। आज मैं पूरे रास्ते सिर्फ आकृति के आस पास ही होना चाहता था। मैं उसके पीछे था और वो बार–बार पीछे मुड़ के देख रही थी जो बिल्कुल नया था मेरे लिए और मुझे ये अजीब लगा। मैने अपने दोस्त से कहा– “चल थोड़ा आगे चलते है।" वो कहता है– “मैं तो कबसे यही कह रहा था।" आज मेरा ध्यान आयुष की बातों पर बिल्कुल नहीं था। आयुष जैसे ही आगे बढ़ा आकृति ने उसे मना कर दिया l वह उसे कहती है– “आगे मत जाना!"
मुझे अचानक से झटका सा लगा, मैं हैरान था इस बात से कि आकृति ने उससे बात की जिससे कोई लड़की गलती से टकराना तक नहीं चाहेगी। उसने मुझसे आज तक अच्छा, बुरा, एक शब्द नही बोला था।

मुझे देखना था कि आगे क्या हो रहा है। मैं थोड़ा आगे बढ़कर देखता हूं, मुझे दूसरा झटका लगता है। लंबी लाइन लगी हुई है यहां तो, आकृति, प्रियंका, काजल सब एक साथ है उनके आगे कुछ लड़कियां है और आगे भी कुछ लड़कियां है। सब थोड़ी दूरी में एक झुंड बना कर चल रहे है और उसके आगे जो है मुझे उसपर यकीन नही हो रहा है। आर्यन और आयशा एक साथ थे। आर्यन आयशा को प्रपोज कर रहा था और उसके दोस्त उसकी हिम्मत बढ़ा रहे थे। ठीक पीछे जो लड़कियां जा रही थी वह आर्यन की दोस्त थी और कुछ लड़के, आर्यन के दोस्त उसके आगे चल रहे थे। दो-तीन सप्ताह ही हुए थे आयशा को ट्यूशन में आए हुए और आर्यन ने उससे अपने दिल की बात भी कह दी और कहां मैं आकृति से साल भर में एक शब्द तक नहीं बोल पाया था। मेरा ध्यान आकृति से हटा और अब मुझे वह सभी चीजें जो सुबह से मेरे आस-पास हो रही थी, जिसे मैं नजरअंदाज कर रहा था वह सब मुझे याद आ रही थी। यह बात मुझे छोड़ कर सबको पता थी क्योंकि आज सब सिर्फ यही बात कर रहे थे। लेकिन मैं तो आज आकृति की धुन में खोया था इसीलिए मुझे इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था। इन सब में बेचारा आयुष दुखी हो गया क्योंकि आयशा ने आर्यन को हां कर दी थी।

खैर यह सब खत्म हुआ और मैं और आकृति उस मोड़ पर आए जहां सब अलग हो जाते हैं, सिर्फ मैं और वह साथ होते है। आज का तो दिन ही अजूबा था। कुछ दूर चलने के बाद आकृति रुकती है, पीछे घूमती है और मुझसे कहती है– “सुनो, तुमसे कुछ कहना था।" यह सुनकर मानो मेरी धड़कन रुक सी गई हो। मैं होश संभालकर हां में सर हिलाता हूं।

वो कहती है– “सारी, मैंने उस समय थोड़ा ज्यादा जोर से बोल दिया था लेकिन वह तुम्हारे लिए नहीं था।" मैने कहा– “तो फिर?"
वो कहती है– “वो आयुष के लिए था, रोशनी(आर्यन की दोस्त) ने मुझे ऐसा करने को बोला था।" क्योंकि आकृति और उसके शांत स्वभाव से सब लड़के डरते थे। मैं एक मिनिट रुका और सब कुछ फिर से याद किया, अब मुझे सारा माजरा समझ में आ रहा था।

वह मेरा ध्यान तोड़ती है और कहती है– “कहां खो गए, तुम भी तो इस का हिस्सा थे।" मैं थोड़ा आश्चर्यचकित वाला चेहरा बनाता हूं और उसकी ओर देखता हूं। वह कहती है– “मुझे भी अभी पता चला, प्रियंका ने बताया।" मेरा काम था आयुष को पीछे रखना क्योंकि वह भी आयशा को पसंद करता था और उसके आगे जाने से बात बिगड़ सकती थी और इतने में मेरा घर आ जाता है। वह मुझसे कहती है– “अगले क्लास में मिलते है" और एक प्यारी सी मुस्कान देकर चली जाती है।"

कारण चाहे जो भी हो पर आज आकृति से मैने पहली बार बातें की थी और मैं बहुत खुश था। उसी खुशी के साथ मैं स्कूल जाता हूं तो देखता हूं कोई और भी बहुत खुश है– आर्यन। वो आता है और मेरे गले लग जाता है और मुझसे कहता है– “धन्यवाद! तेरे बिन ये नही हो पाता।" खुश तो मैं भी था और इसका कारण कही न कही वो ही था इसीलिए मैं भी उससे यही कहता हूं– “ धन्यवाद! यह तेरे वजह से ही हुआ" और हम नाचने लगते है। सब खुश थे क्लास में, आज माहौल में सिर्फ प्यार ही प्यार था। वो अंग्रेजी का एक वाक्य है न– “Love is in the air.”

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उम्र का एक ऐसा दौर जहां जिंदगी हर रोज बदलती है।
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