कलम से लिखीं कुछ अनकही बातें....
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बेफिक्र निकल पड़ता हूं उन रास्तों पर जिन रास्तों पर अक्सर मिला करते थे हम,की काश किसी शाम वो नज़रों के सामने आएऔर डर तो इस बात का भी है किकहीं वो मेरी आखिरी शाम ना बन जाए।।उसे देखते ही भूल जाता थ
ज़िंदगी में आगे शायद और भी दोस्त मिलेंगे पर तेरे जैसा अब कोई और नहीं मिलेगा,तेरे साथ ज़िंदगी का सबसे अच्छा वक्त गुजारा हैहर वो पल ज़िंदगी को खास बनता है,वो पल बनाने वाला अब कोई और नहीं मिलेगा।।ते