प्रिय सखी अंजू जैन "प्राची"की स्मृति में (जिसे कोरोना छीन ले गया हमसे)
बहुत याद आती हो तुम
जाने कहाँ हो गईं गुम
कितना जुड़ गए थे तुम हम
दूर थे तो क्या दोस्ती न थी कम
क्यों लिया सखी को हमसे छीन
तुम्हारा क्या बिगाड़ा था हमने चीन
हुए तुम वायरस फैलाने में लीन
विधाता बनाएगा तुम्हें दीन हीन।