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हम सब भारतीय हैं

5 मार्च 2022

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सन्ध्या गोयल सुगम्या की अन्य किताबें

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रचनाएँ
सुनो न!
4.0
अपनी बात मुझमें से गर निकाल दो मेरी लेखनी मेरी ज़िन्दगी से मेरी नहीं निभनी यूँ तो आते हैं सभी जीने के लिये पर ज़िन्दगी न लगती सबको भली इतनी सुख में सखी और दुख में दोस्त मेरी लेखनी ने कभी न होने दी कोफ्त मेरी अनुभूतियाँ ,जो कविता बन गईं मेरे मन का हिस्सा थीं अब पाठकों तक पहुँच गईं किसी भी रचनाकार के मन में जब कोई रचना आकार लेती है, तब वह उसकी नितान्त अपनी होती है। किन्तु वही जब पाठकों तक पहुँचती है तो वह सार्वजनिक हो जाती है। लिखने वाले ने जिस भाव से लिखी हो, उसके पाठक उसे उसी भाव से ग्रहण करें, यह आवश्यक नहीं। समय, परिस्थिति और स्वभाव के अनुसार पाठक उसे अलग अलग रूप में भी ग्रहण करते हैं। शब्द. इन के माध्यम से अपनी कविताओं को आप सुधी पाठकों तक पहुँचाते हुए मुझे बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है। सन्ध्या गोयल सुगम्या
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भूमिका आदरणीया आशा शैली जी

7 मई 2022
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भूमिका सोशल मीडिया को जितना कोसा जाता है, उतना सराहा भी जाता है। निश्चय ही फेसबुक और वाट्सएप ने लेखक जगत के परिचय क्षेत्र को जितना विस्तार दिया है, उतना पुस्तकें और कवि सम्मेलन नहीं दे सकते थे। आज हर

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हिन्दी

25 जनवरी 2022
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"हिन्दी"हिन्दी हमारी मातृभाषा है, क्षेत्रीय भाषाएँ हमारी मौसियाँसंस्कृत है नानी, जिसकी महिमा जाए न बखानी इंग्लिश है आंटी, विश्व में सम्माननीय हमारी मेहमान है, हमारे लिए पूजनीय किन्तु आं

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आह्वान

25 जनवरी 2022
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"आह्वान" गर मैं होती एक कवयित्री कर देती रचना इस छवि की कैसा सुन्दर मनभावन सावन करता जैसे मन का आह्वान ठंडी ठंडी चली पुरवैया डोल न जाए मेरी नैया मैं निहारुँ इस छवि को रोक न पाऊँ अपने मन को फू

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"यादें"

27 जनवरी 2022
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"कॉलेज की चटपटी यादें" ज़िन्दगी  की  तमाम  परेशानियाँ हैं शूल सी कॉलेज की चटपटी यादें हैं फूल सी दौड़ती ज़िन्दगी ने हमें अपनों से पल पल तोड़ा समेटकर बिखरी यादों को आज यह मन्जर है जोड़ा अब सम्भव नह

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"बढ़ता वजन, घटता विज़न"

27 जनवरी 2022
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हर दिन बढ़ते वज़न से हो  गये  हम  परेशान उपदेश सुन सुन सबसे मन  हो गया  हलकान शुरू  की  हमने  रोज़ सुबह  की  सैर मनाते हुए भगवान से अपने तन की  खैर कुछ वज़न कम हुआ और हल्के लगे  पैर खुश  हो, शुर

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"मेरी कविता"

27 जनवरी 2022
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मेरी कविता मुँह से अनायास निकले शब्द कविता बन जाते हैं पर प्रयत्न करने पर वे जुबाँ पर नहीं आते हैं यह अजीब आश्चर्य है जिसे मैं भी जान न पायी कि चाहकर भी मैं किसी के लिए क्यों न कुछ लिख पायी क

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"पहले ही"

27 जनवरी 2022
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"पहले ही" मेरे सपने वे जेवर थे जिन्हें गढ़ने से पहले ही चुरा लिया गया मेरे अनुभव वे पत्थर थे जिन्हें तराशने से पहले ही तोड़ दिया गया मेरी इच्छायें वे फिल्म थीं जिन्हें पूरी होने से पहले ही जब्त

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"ऐ ज़िन्दगी"

27 जनवरी 2022
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"ऐ जिंदगी" हार माननी कभी सीखी न थी हमने पर आज जाना हार में भी एक मज़ा है महफ़िल में पहचाने जाना एक कला है पर कभी खो जाने में अपना मजा है भावनाओं को शब्द देना कविता है पर ख़ामोशी सब कहे तो कितना मज़

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"आओ, कुछ देर बैठें"

27 जनवरी 2022
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"आओ, कुछ देर बैठें" आओ कुछ देर बैठें सुस्तायें पलकें झपकायें कुछ तुम सुनाओ कुछ हम बतायें मशीनों और वाहनों के इस शोर में, कहीं हम बतियाना न भूल जायें चलो कहीं चलें दूर पहाड़ों के पीछे या घने

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आँगन

8 फरवरी 2022
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आँगन आने से तुम्हारे ,महक उठा है आँगन लगा नाचने मन,ज्यों आया हो फागुन खिल उठा है मन, जबसे आये हो साजन तुम साथ दो तो, हर माह मेरा सावन सन्ध्या गोयल सुगम्या

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"गुम"

8 फरवरी 2022
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प्रिय सखी अंजू जैन "प्राची"की स्मृति में (जिसे कोरोना छीन ले गया हमसे) बहुत याद आती हो तुम जाने कहाँ हो गईं गुम कितना जुड़ गए थे तुम हम दूर थे तो क्या दोस्ती न थी कम क्यों लिया सखी को हमसे छीन तु

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सरसों

8 फरवरी 2022
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खेतों में जब फूल रही पीली सरसों वे गाँव देखे हमें हुए जैसे बरसों

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मेहमान

8 फरवरी 2022
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रे मन मेरे न हो हैरान परेशान क्या तू है इस बात से अनजान चला जायेगा एक दिन यह भी दुख भी तो है दो दिन का मेहमान

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सजा सज़ा

8 फरवरी 2022
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हमने तो आप को मन मन्दिर में लिया सजाआप तो आराध्य हैंआपको कैसी सज़ा।

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मना

8 फरवरी 2022
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"मना" माना साथ  जाने को किया था हमने मना पर बाट तुम्हारी जोही थी सोचा था लोगे हमें मना

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छंद

18 फरवरी 2022
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पहले 👇🏻 मात्राओं की बंदिश मुझसे सही नहीं जाती इसलिये छंद मुक्त कविता मुझे  खूब है भाती अब👇🏻 काव्य मेरे मन को मोहे, हायकू हो या दोहे लेखन बड़ा भाता मोहे, छन्द भी मुझको सोहे

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चंद्रयान

18 फरवरी 2022
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22 जुलाई 2019 को जब इसरो ने चंद्रयान 2 लॉन्च किया, तब मेरे कवि मन में कुछ और ही उथल पुथल मची थी, जिसे मैंने कविता का रूप दिया👇🏻 चन्द्रयान चला चाँद पर, सारा भारत नाचे मेरा पागल मन जाने क्या क्या सो

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आनन्द

18 फरवरी 2022
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कविवर जयशंकर प्रसाद जी की महान कृति "कामायनी" से प्रेरित होकर लिखी गई कविता। किन्तु यहाँ परिस्थिति प्रलय की नहीं, अपितु पहले लॉकडाउन की थी (मार्च 2020 में)। बालकनी के संकरे मार्ग पर टिककर रेलिंग पर

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कोविड

18 फरवरी 2022
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हाय यह कोविड की बीमारी दुखी हो गई दुनिया सारी साँसों को तरसे नर नारी उदास प्रकृति मानव को भारी जोड़ लेते नाता  योग से तो जीत जाते रोग से कर लो नियमित योग और भगा दो सारे रोग सन्ध्या गोयल सुगम्या

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"अब तो बस करो न"

18 फरवरी 2022
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"अब तो बस करो न" कोरोना! हाय, तुझको क्या रोना मुश्किल कर दिया सबका जीना है तू वह जहर, जो सबको पड़ रहा पीना न बन सके नीलकंठ, न कोई चाहे मरना कोरोना, अब तो बस करो न मानवता पर और ज़ुल्म करो न भाता त

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जीवन का आधार

18 फरवरी 2022
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"जीवन का आधार" पर्यावरण रखो स्वच्छ प्रदूषण को मिटाकर हो जाए धरती निर्मल और स्वर्ग सी सुन्दर लगे सुखमय साँस साँस जीवन हो बड़ा मनोहर प्रकृति को प्यार से दोस्त बनाओ जीवन भर उसका स्नेह पाओ प्रकृत

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"सोचो कभी तो"

18 फरवरी 2022
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"सोचो कभी तो" देशसेवा है नहीं काम केवल फौजियों का खाया है हमने भी अन्न इसी धरती का पार सीमा के अगर न लड़ पाए शत्रु से उखाड़ तो सकते हैं पाँव अन्दर के अरि के देश की खातिर नहीं बहाया खून तुमने देश ह

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"अभिलाषा"

18 फरवरी 2022
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"अभिलाषा" अभिलाषा कुछ कर गुज़र जाने की देश के लिये मर मिट जाने की करा देती है काम महान सदियों तक याद रह पाने की अभिलाषा जब हो स्वार्थ भरी नीच,कपटी खोखली निरी ढह जाती है एक दिन ऐसे ज्यों गिरे

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साड़ी

5 मार्च 2022
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साड़ी बिना सिले है पहनी जाती देखो तब भी ग़ज़ब है ढाती पहनने के इसको कितने तरीके सबके हैं अपने अपने सलीके दुनिया ने परिधान कितने बनाये साड़ी को फिर भी भुला न पाये सन्ध्या गोयल सुगम्या

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हम सब भारतीय हैं

5 मार्च 2022
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"हम सब भारतीय हैं" अद्भुत है हमारी भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान हिन्दू हैं हम,होने पर हिन्दू है हमें अभिमान राह विध्वंस की कभी हमने नहीं अपनाई मानव मात्र के विकास में अपनी ऊर्जा लगाई बहुत डाल चु

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देने की सोचें

5 मार्च 2022
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"देने की सोचें" हुए पैदा हम आज़ाद भारत में क्योंकि शहीद हुआ कोई देश के लिए हम महफूज़ हैं बाहरी दुश्मन से क्योंकि तैनात है कोई सीमा पर अंदर के दुश्मन से बेखौफ हुए हम क्योंकि है कमान सुरक्षित हाथो

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आँखें खोलो

5 मार्च 2022
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"आँखें खोलो" हमें तो बस दो रोटी की दरकार है हमें क्या चाहे जिसकी सरकार है सोच है ऐसी, इस सोच को बदल डालो आँखें खोलो,पड़ोस पर नज़र डालो तीन लाख सैनिकों के होते सरकार पिचहत्तर हजार तालिबानियों से हा

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हिन्दी

5 मार्च 2022
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"हिन्दी पहचान है हमारी" सम्मान की अधिकारी है हिन्दी, हम इसके लिये उसे तरसायें क्यों हिन्दी पहचान है हमारी अपनी पहचान भुलाएं क्यों यदि प्रत्येक दिवस दें हिन्दी को तो हिन्दी दिवस मनाएं क्यों हिन्

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जल

5 मार्च 2022
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"जल" मैं जल हूं तुम हो मेघ ताक सकते हो स्वयं को मुझमें निर्निमेष तुम सनेहपूरित श्यामवर्ण मैं श्यामा चंचल प्रति क्षण न चूक जाना,न चुक जाना मैं हूं तुम्हारी प्रतिकृति इसे भूल न जाना सन्ध्या गो

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प्रश्नचिन्ह

5 मार्च 2022
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"प्रश्नचिन्ह" आज यह ज़िन्दगी इतनी सस्ती क्यों हो गई मौत के आगे ज़िन्दगी क्यों हिम्मत हार गई सुदूर आकाश में जो चमकता सितारा था यकायक उसकी चमक मिट्टी में मिल गई लाखों ललचाते थे,जिसका मकाम पाने को उ

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एडिट

5 मार्च 2022
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"एडिट" हरदम मुस्कुराने वाले सुशांत क्यों कर लिया तुमने जीवन का अंत यूं तो कुछ नहीं थे तुम हमारे पर थे तो एक,चमकते सितारे सपने देखते हैं जो लाखों शख्स पाते थे तुममें वे अपना अक्स प्रतीक थे तुम ए

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पौधों से प्यार

6 मार्च 2022
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"पौधों से प्यार" पौधों से जिसको भी होता है प्यार उनकी सेवा को वह रहता है तैयार कभी न उतरने वाला होता यह खुमार सेवा में उनकी बन्दा सहता मौसम की मार कहते कैसे इसको जुनून नहीं समझते कि ये देते

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दीपावली

6 मार्च 2022
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💫⚡🌟🌻💥🌈 दीपावली बड़ी बड़ी खुशियाँ लाये छोटी दीपावली छोटी छोटी इच्छाएँ पूरी करे बड़ी दीपावली कष्टों से रक्षा करें गोवर्धन मजबूत करे भाईदूज स्नेह का बंधन पर्वों की यह श्रृंखला सुखकारी हो अनन्

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"बिन बरसे ही"

6 मार्च 2022
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"बिन बरसे ही" बादल आये, उमड़ घुमड़कर गरज गरजकर चले गये बिन बरसे रह गयी धरती प्यासी लाख समझाये पर मन तरसे ज्यों आये नेता गाँव गाँव गली गली जुबाँ पर मिश्री तन पर खादी जनता में आस जगी छो

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जय सियाराम

8 मार्च 2022
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जय सियाराम🙏🏻 भाव हों सच्चे और मेहनत हो भरपूर राह की बाधाएँ हो जातीं स्वयं ही दूर भव्य मन्दिर बनेगा श्री राम का  जरूर अब हर भारतीय का होगा वह गुरूर

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कुछ तो

8 मार्च 2022
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"कुछ तो" कुछ तो बात होगी उस व्यक्तित्व में ऐसा श्रेय आता नहीं हरेक के हिस्से में इंसान दुनिया में आता है चला जाता है हर कोई किया जाता नहीं याद किस्से में

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सुख

8 मार्च 2022
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"सुख" सुख चाहे तू कितना ले बीन पर निवाला मत किसी से छीन चाहे कितना आगे बढ़ जाये मत समझ किसी को दीन हीन सन्ध्या गोयल सुगम्या

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फिक्र

8 मार्च 2022
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"फिक्र" जिसने नहीं की आपकी फिक्र आप हरदम करते क्यों उसका जिक्र भुला कर उसको दिल कहीं और लगाइए ज़िन्दगी है बेशकीमती,उसे यूँ न गँवाईये

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फायदा

8 मार्च 2022
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"फायदा" 😄😄😄 सरकारी प्रतिष्ठानों में जाने का एक फायदा मैं पाती हूँ बिन बाँधे मैजिक घड़ी मैं इन्विज़िबल हो जाती हूँ 😊😊😊

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सुख दुख

8 मार्च 2022
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"सुख दुख" दुख हैं सबके जुदा जुदा, सुखी है कौन संसार में दुख सुख हैं सबके साथी, सुख संग दुख मिले हर हाल में

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मुस्कुराहट

8 मार्च 2022
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"मुस्कुराहट" परेशानियाँ तो जीवन का अंग हैं क्यों करें फिक्र जब हम सब संग हैं टल जाएगी मुसीबत जब सुनते ही उसकी आहट मोर्चा सँभाल लोगे रखकर होंठों पे मुस्कुराहट सन्ध्या गोयल सुगम्या

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"हार"

8 मार्च 2022
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"हार" यूँ ही कभी न मानिये, कठिनाइयों से हार एक दिन चलकर आएगी,सफलता आपके द्वार राहें थे जो रोकते, पहनाएंगे हार भूल जायेंगे आप भी हालातों की मार

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"कह दें"

5 अप्रैल 2022
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"कह दें" कल की किसको पता है आज को जी लें भरपूर कह दें दिल की अपनों से चले जाएं न वे कहीं दूर

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आम

5 अप्रैल 2022
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"आम" आम है सचमुच कितना खास फिर क्यों कहते आम उसको जो न हो खास

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मोहे

5 अप्रैल 2022
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"मोहे" सुन्दर रूप है इतना , प्यारा लागे मोहे कमाल है कलेवर इसका, मन को मेरे मोहे

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त्यौहार

6 अप्रैल 2022
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"त्यौहार" अब वाट्स एप्प पर झूले वाट्स एप्प पर ही बहार ऐसे ही मनते हैं अब हमारे सारे त्यौहार 😄😁🌷🌹

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आया बसन्त

6 अप्रैल 2022
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"आया बसन्त" बसन्त आया यह कैलेंडर बतलाता है सोशल मीडिया सारा पीतवर्ण हो जाता है

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"वाट्स एप्प पर आप क्या हैं"

6 अप्रैल 2022
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"वाट्स एप्प पर आप क्या हैं?" एक मेघ, जो गरजते हुए आता है, अपनी उपस्थिति दर्ज कराके बरसके खाली हो भाग जाता है। या छोटा सा बादल जो बरसा देता है बूँदें कभी कभार इतनी ही कि कोई देख पाता है,कोई नही

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"अगर तुम न होते"

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"अगर तुम न होते" (एक प्यार भरी पाती मोबाइल फोन के नाम) अगर तुम न होते टूर पर गए पति की मैं जोहती बाट चिन्ता में डूब न सुहाता कोई ठाठ ऑफिस से लौटती बिटिया गर हो जाती लेट मन घबराता और चिन्ता से दु

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ईद

6 अप्रैल 2022
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"ईद" इन्हें भी जिंदगी प्यारी है इनकी आँखों में भी नूर है ईद अगर आई है तो इनका क्या कसूर है बलि दें अपने अहंकार की घृणा व क्रूर व्यवहार की बाँटें खुशियाँ अपरम्पार ऐसा हो ईद का त्यौहार

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सुकून

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वर्ण पिरामिड "सुकून" जो करे पौधों से प्यार ज़रा रखे जुनून करे मेहनत और पाये सुकून

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सावरकर जी

6 अप्रैल 2022
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"सावरकर जी" जिसने भारत मां की सेवा की जी भरकर नाम था उसका विनायक दामोदर सावरकर अठारह सौ सत्तावन में हुआ था प्रथम स्वतंत्रता संग्राम लिखने पर,हो गया अंग्रेज सरकार का आराम हराम दस साल की कालेपा

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"स्त्री थोड़ी पागल होती है न"

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"स्त्री थोड़ी पागल होती है न" चली आती है अपना घर छोड़कर पति का घर बसाने के लिए स्त्री थोड़ी पागल होती है न ओढ़कर सारी जिम्मेदारियां खुद ही बना लेती है निर्भर, पति को स्वयं पर स्त्री थोड़ी पागल ह

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"फितरत"

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"फितरत" होती है कुछ लोगों की ऐसी ही फितरत मिल जाए माइक तो निकालेंगे ज़िंदगी भर की हसरत जब माइक पर आता है कोई नया वक्ता बड़े ध्यान से सुनते हैं उसको सारे श्रोता कुछ देर तक रहता है माइक उसके ह

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आजादी

6 अप्रैल 2022
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"आजादी" नहीं आई आजादी पहनने से खादी कितनी माँओं के लालों ने अपनी जान लुटा दी

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मैं गौरैया

6 अप्रैल 2022
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"मैं गौरैया" मैं छोटी सी गौरैया साहित्य के उद्यान की इत उत उड़ती,दाना चुगती मंत्रमुग्ध ईश विधान की

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धन्यवाद

6 अप्रैल 2022
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धन्यवाद पाकर शुभकामनाएं मन हुआ है गदगद दिल से दी गयी दुआएं करातीं अहसास सुखद मंगल कामनाओं के लिये करते आप सबका आभार आपकी भावनाओं के लिये है बारम्बार नमस्कार ☺️☺️🙏🙏🌻🌻

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मानो तो सुख

7 अप्रैल 2022
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"मानो तो सुख" सुधिजन हमें लाख समझाए दुनिया में कोई सुख न पाए मानो तो सुख है बस वरना ढूँढे से सुख नजर न आए

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मेरे प्रिय मोबाइल फोन

13 अप्रैल 2022
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"मेरे प्रिय मोबाइल फोन" तुम से ही पूजा तुम से ही आरती तुम से ही ज्ञान देती माँ भारती प्रियजनों के हमको लेने हों हालचाल या सखियों की बात सुन हों खुशी से मालामाल इमरजेंसी में जाना हो डॉक्टर के

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"तुम बिन चैन कहाँ"

19 अप्रैल 2022
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"तुम बिन चैन कहाँ" कल तुम मुझसे रूठ गए, लगा कि दुनिया रूठ गई मुँह में नाम भगवान का और मन में उदासी मैं तुम्हारी खुशामद करती रही सब कुछ भूल तुम्हें मनाती रही तुम मान गए, दुनिया खिल उठी मैं बस ज

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संता बंता

19 अप्रैल 2022
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हास्य रस में रहने दो बंता को बंता और संता को संता जाति धर्म न आए बीच में मज़ा ले सारी जनता☺️😄

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