वक़्त के पहियों के साथ चलता हुआ
ये जीवन रुकता नहीं कहीं...
चलते रहता है निरंतर....!
समय के सारे थपेड़े सहते हुए....
सुख और दु:ख में भी वह ठहरता नहीं!!
चोट लगे तो सहलाता,
संँभालता बढ़ते ही रहता....!
छोड़ जाए कोई अपना...
जीने में ना लगे मन और ना रहे
जीवन में कोई बात तो भी ये नहीं ठहरता.....!
गति ही इसका ध्येय है....
गतिमान एक प्रवाह में ये
निरंतर बहता रहता है......!
जीवन रुकता नहीं
जीवन निरंतर चलते रहता है..!