सोने की चिड़िया था कभी ,
उन्मुक्त हवाओं का था बसेरा ,
नारी की जहाँ होती थी पूजा ,
ऐसी पावन भूमि का देश था मेरा !
हम तन से तो आज़ाद हुए है ,
पर मन और विचारों से अब भी है गुलाम !
जब यहाँ मानवता , भाईचारा और सौहार्द्र होगा ,
जब नारी का यहाँ सम्मान होगा ,
जब यहाँ हर इंसान तन से ही नहीं
मन और विचारों से भी आज़ाद होगा ,
तब सही मायने में आज़ाद होगा ‘मेरा देश’ !
" मेरा भारत महान " इस पुस्तक में मेरी कुछ मौलिक एवं स्वरचित कविताओं का संकलन हैं जो मेरी अपने देश अपने भारत के प्रति देशभक्ति की भावना की द्योतक है। आशा करती हूं कि आप सभी अपने देश को समर्पित मेरी स्वरचित कविताओं को पढ़कर मुझे प्रोत्साहित करेंगे।
सादर धन्यवाद
सोनल पंवार
उदयपुर
राजस्थान