” उड़ान ” मन है एक ऐसा पंछी , जिसके ख्वाहिशों के पर है होते , जो भरना चाहता है उन्मुक्त उड़ान , और छूना चाहता है आसमान ! लेकिन वक्त की अग्नि-सी प्रखर तपती किरणें , जला देती है वो पर ख्वाहिशों के , और मन अनमना-सा रह जाता है यहीं , एक उड़ान को पाने की आस में ! " क्षणिकाएं मेरी कलम से " पुस्तक मेरी स्वरचित एवं मौलिक रचनाओं का संकलन है जिसमें मैंने कुछ क्षणिकाएं प्रस्तुत की हैं। आशा करती हूं कि आप सभी मेरी कलम से लिखी गई रचनाओं को प्रोत्साहित करेंगे। सोनल पंवार राजस्थान सादर धन्यवाद 🙏🙏