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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-01-26
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2021-12-18

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" मेरा भारत महान "

" मेरा भारत महान "

सोने की चिड़िया था कभी , उन्मुक्त हवाओं का था बसेरा , नारी की जहाँ होती थी पूजा , ऐसी पावन भूमि का देश था मेरा ! हम तन से तो आज़ाद हुए है  , पर मन और विचारों से अब भी  है गुलाम  ! जब यहाँ मानवता , भाईचारा और सौहार्द्र होगा , जब नारी का यहाँ सम्मान ह

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₹ 40/-

" मेरा भारत महान "

" मेरा भारत महान "

सोने की चिड़िया था कभी , उन्मुक्त हवाओं का था बसेरा , नारी की जहाँ होती थी पूजा , ऐसी पावन भूमि का देश था मेरा ! हम तन से तो आज़ाद हुए है  , पर मन और विचारों से अब भी  है गुलाम  ! जब यहाँ मानवता , भाईचारा और सौहार्द्र होगा , जब नारी का यहाँ सम्मान ह

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काव्यधारा

काव्यधारा

शब्दों के खेल से बनती है एक कविता, कवि के अंतर्मन से निकल कर शब्दों के मोती को माला में पिरोती है एक कविता, ज़ेहन से कागज़ के पन्नों पर उभरती है एक कविता, कवि के ख्यालों की अधबुनी कहानी है एक कविता। ' काव्यधारा ' मेरी स्वरचित एवं मौलिक कविताओं का संग्

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काव्यधारा

काव्यधारा

शब्दों के खेल से बनती है एक कविता, कवि के अंतर्मन से निकल कर शब्दों के मोती को माला में पिरोती है एक कविता, ज़ेहन से कागज़ के पन्नों पर उभरती है एक कविता, कवि के ख्यालों की अधबुनी कहानी है एक कविता। ' काव्यधारा ' मेरी स्वरचित एवं मौलिक कविताओं का संग्

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क्षणिकाएं मेरी कलम से✍️

क्षणिकाएं मेरी कलम से✍️

       ”  उड़ान ”  मन है एक ऐसा पंछी , जिसके ख्वाहिशों के पर है होते , जो भरना चाहता है उन्मुक्त उड़ान , और छूना चाहता है आसमान ! लेकिन वक्त की अग्नि-सी प्रखर तपती किरणें , जला देती है वो पर ख्वाहिशों के , और मन अनमना-सा रह जाता है यहीं , एक उड़ान क

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क्षणिकाएं मेरी कलम से✍️

क्षणिकाएं मेरी कलम से✍️

       ”  उड़ान ”  मन है एक ऐसा पंछी , जिसके ख्वाहिशों के पर है होते , जो भरना चाहता है उन्मुक्त उड़ान , और छूना चाहता है आसमान ! लेकिन वक्त की अग्नि-सी प्रखर तपती किरणें , जला देती है वो पर ख्वाहिशों के , और मन अनमना-सा रह जाता है यहीं , एक उड़ान क

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" ईश्वर की अनमोल सौगात - हमारे माता-पिता "

" ईश्वर की अनमोल सौगात - हमारे माता-पिता "

ईश्वर की  बनाई ममता की मूरत है  ‘माँ’ , ईश्वर ने गढ़ी वो अनमोल कृति है ‘पिता’ ! जीवन की तपती धूप में शीतल छाँव है ‘माँ’ , जीवन के अंधेरों में प्रदीप्त  लौ है ‘पिता’ ! ज़िन्दगी के आशियाने का स्तंभ है ‘माँ’ , उस स्तंभ  का आधार-‘नींव’ है ‘पिता’ ! मेरे ज

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" ईश्वर की अनमोल सौगात - हमारे माता-पिता "

" ईश्वर की अनमोल सौगात - हमारे माता-पिता "

ईश्वर की  बनाई ममता की मूरत है  ‘माँ’ , ईश्वर ने गढ़ी वो अनमोल कृति है ‘पिता’ ! जीवन की तपती धूप में शीतल छाँव है ‘माँ’ , जीवन के अंधेरों में प्रदीप्त  लौ है ‘पिता’ ! ज़िन्दगी के आशियाने का स्तंभ है ‘माँ’ , उस स्तंभ  का आधार-‘नींव’ है ‘पिता’ ! मेरे ज

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" गुलाब की पंखुड़ियां - सीख जीवन की "

24 अगस्त 2022
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वो गुलाब की पंखुड़ियां नाज़ुक और कोमल प्रभु के श्री चरणों में हो समर्पित भक्ति की पावनता दर्शाती है, केशों में सुशोभित होकर नारी का श्रृंगार बन जाती है, बागों में कलियों संग झूमे रंग बिरंगी तितलियों

" मेरी प्रेरणा मेरे पिता "

19 जून 2022
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वटवृक्ष की विशाल छांव-सी, पिता के स्नेहाशीष तले पल्लवित एक कोमल टहनी थी मैं, मुझे एक सशक्त शाख है बनाया पिता के प्रेम और विश्वास ने, एक दृढ़ स्तंभ बनकर सदा अपने विशाल हाथों का देकर संबल, मेरे नन्हें

"मेरी प्रेरणा मेरे पिता "

19 जून 2022
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वटवृक्ष की विशाल छांव-सी, पिता के स्नेहाशीष तले पल्लवित एक कोमल टहनी थी मैं, मुझे एक सशक्त शाख है बनाया पिता के प्रेम और विश्वास ने, एक दृढ़ स्तंभ बनकर सदा अपने विशाल हाथों का देकर संबल, मेरे नन्हें

" ममता की मूरत - मां "

26 अप्रैल 2022
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सृष्टि को देने मूर्त रुप ईश्वर नेकिया अपनी प्रतिमूर्ति का निर्माण,ममतामयी एक मूरत का कर सृजनकिया इस सृष्टि का उत्थान।मां सरस्वती के आशीष से सिंचितज्ञान की जिसे दी निर्मल धार

" पक्षी - अमन चैन की बयार "

28 मार्च 2022
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हम पक्षी है, उड़ने दो हमें उन्मुक्त गगन में बांधों न कोई डोर, पंख फैलाए खुले आसमां में सीमित है न कोई छोर, हम मनुष्य नहीं है, जो सरहद की सीमाओं में युद्ध के लिए डटे रहे, धर्म और मज़हब की दीवारों में

" जीवन के अनोखे रंग "

17 मार्च 2022
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चित्रित करते हैं विविध भावों को, जीवन के ये अनोखे रंग, कभी धूप तो कभी छांव संग, आंख-मिचौली खेलें ये रंग। श्वेत रंग है प्रतीक पावनता का मन की शांति का है द्योतक, लाल रंग से स्नेह और पराक्रम की झलक होत

" नारी तू है महान "

8 मार्च 2022
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नारी तेरे कितने रूपतुझसे पावन जीवन की हर धूप,तू है अन्नपुर्णा, तू है जननी है इस सृष्टि का आधार,तू है दुर्गा और सरस्वती, है शक्ति का स्वरूप साकार,स्नेहिल व्यक्तित्व से सुगंधितमहकते रिश्तों का

देशभक्ति गीत - "भारत की शान "

16 फरवरी 2022
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आशा के दीप फिर से जगमगाएंगे, विश्व पटल पर भारत की शान बढ़ाएंगे, लहराएगा तिरंगा दुनिया के हर शिखर पर, भारत को सोने की चिड़ियां फिर से कहलाएंगे। आशा के दीप फिर से जगमगाएंगे, विश्व पटल पर भारत की शान बढ़

" मातृभूमि "

16 फरवरी 2022
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हे मातृभूमि! करते हैं नमन,कर जोड़े शीश नवाए हम,दे सलामी इस तिरंगे को,गर्व से कहे भारतीय हैं हम।- सोनल पंवार✍️

" ख़ामोशी "

16 फरवरी 2022
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ख़ामोशी एक आवाज़ हैजो गूंजती है अंतर्मन की दीवारों मेंप्रतिध्वनि बनकर,बेजुबान आंखों से छलकती हैअश्रु की धारा बनकर,ख़ामोशी एक आवाज़ हैजो सिसकती हैकभी दर्द तो कभी दवा बनकर।- सोनल पंवार✍️

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