उगते सूर्य की किरणों से झिलमिल करती माँ नर्मदा की लहरों पर बहता मृत प्रायः युवा नारी शरीर…..क्या उसमें जीवन शेष था ? …….. सदानंद बाल-ब्रह्मचारी है। सांसारिक बंधनों से मुक्त होते हुए भी वह एक ऐसी परीक
दो वर्ष पश्चात् ———————- जबलपुर का लम्हेटा घाट । सूर्यास्त होने वाला है । लालिमा युक्त सूर्य का प्रतिबिंब नर्मदा के जल पर क्रीड़ा सी कर रहा है ।घाट की सीढ़ियों पर बैठी मानसी के केशों के मध्य से झांक
समय -चक्र का पहिया अपनी धुरी पर समान गति से घूम रहा है, किंतु संसार में जो घट रहा है वो समान नहीं है । जो कल था वो आज नहीं है, जो आज है वो संभवतः कल नहीं होगा । भारतीय लोकतंत्र के वो २१ महीनों के आपा
WILDLIFE KE SUNDAR PAKSHIइंसानी रचना से ज्यादा रचनात्मक और खूबसूरत प्रकृति की रचना है जैसे नदी, पहाड़, फल, फुल, पशु-पक्षी आदि। यह सौंदर्य का वह स्वरूप है जिसे देखने मात्र से ही मन प्रसन्न हो उठता है और शांति का अनुभव होता है। इनके आकार, रंग, ध्वनी, स्वरूप को देख कर मानो ऐसा लगता है जैसे इन्हे प्रकृति