ऐ मेरे हम नशीं चल कहीं और चल.......... इस चमन में अब अपना गुजारा नहीं होता .......!! बात होती गुलों तक तो सह लेते हम ........... अब तो कांटों पर भी हक हमारा नहीं होता ………!!!
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