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राज....एक पहेली

9 अगस्त 2022

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मीरा समुद्र के किनारे खड़ी हुई लहरों को देख रही थी।

"बस बहुत भाग लिया मैंने अब ,मैं वही आ गयी जहां से ये सब शुरू किया था पर फिर भी तुम मुझे कभी नही ढूंढ पाओगे सम्राट... मेरे जीते जी.तुम कभी भी हमारे बच्चे तक नही पहुंच पाओगे और मैं ये भी जानती हूं कि अपने सपने को पूरा करने के लिए तुम मेरी बलि देने से भी पीछे नही हटोगे....मुझे मौत का कोई डर नही पर मैं मेरे बच्चे को तुम्हारे हाथ कभी नही लगने दूंगी।"मीरा खुद से ही ये सब बोली जा रही थी।

समुद्र की लहरे आ कर मीरा के पैरों को भिगोए जा रही थी।कुछ देर बाद वहां शीला आयी और मीरा को अपने साथ वही समुद्र किनारे बने एक मकान में ले गयी।

"तुमको पूरा भरोसा है न मीरा की तुम यहाँ सुरक्षित रहोगी...."शीला ने मीरा से पूछा

"उम्मीद तो यही है पर मेरे जीते जी वो इस तक कभी नही पहुंच पाएंगे..."मीरा बोली

मीरा ने एक गहरी सांस ली और अपने कमरे में चली गयी।

वक्त बीतता जा रहा था।मीरा का अब नौवां महीना भी शुरू हो चुका था।वहीं कुछ लोग मीरा को ढूंढने के लिए दिन रात एक किये हुए थे।अभी भी कभी कभी चीजे बदल जाती थी पर मीरा को अब इन सब की आदत हो गयी थी।अपनी समझदारी से उसने सब कुछ संभाल लिया।

कुछ दिनों बाद---

उसी अंधेरी गुफा में एक बूढ़ा आदमी अपनी आंखें बंद किये हुए  ध्यान लगाए बैठा हुआ था ।उसके सफेद बाल उसकी पीठ पर बिखरे हुए थे और सफेद दाढ़ी पेट तक पहुंच रही थी।कुछ देर बाद उसी गुफा में एक औरत ने प्रवेश किया,वो काफी चिंतित सी लग रही थी।उस औरत के वहां आते ही उस बूढ़े आदमी ने अपनी आंखें खोल दी और उसके आंखे खोलते ही गुफा की सारी मशालें अपने आप जल उठी।दो पल बीतते ही एक एक करके आदमी वहां प्रकट होने लग गए।

"क्या हुआ बापू ,सब ठीक तो है न ....."एक आदमी ने चिंतित स्वर में उस बूढ़े आदमी से पूछा

"वो इस दुनिया मे आने वाला है,हमे कुछ भी करके उस औरत को ढूंढना होगा।अगर वो इस दुनिया मे आ गया तो अनर्थ हो जाएगा।"वो बूढ़ा आदमी बोला

"पर बापू हम किसी की जान कैसे ले सकते हैं.….."एक औरत बोली

"पर हमें अपनी दुनिया को बचाने के लिए उसकी जान तो लेनी पड़ेगी न...."एक आदमी बोला

"किसी की जान लेने का अंजाम पता है न आप सबको..."एक दूसरा आदमी बोला

"पर हम में से किसी को तो कुर्बानी देनी ही होगी...."

सब आपस में बहस करने  लग गए कि तभी वो बूढ़ा आदमी तेज आवाज में बोला--

"शांत ...."

उसके बोलते ही सब लोग शांत हो गए।

"हमे किसी की भी जान नही लेनी है,हम कुदरत के नियम के विरुद्ध नही जा सकते....कुदरत ने जो हमारे लिए लिखा है वो होकर ही रहेगा...हम बस आने वाली मुसीबत को टालने का प्रयास कर सकते हैं।"

अचानक से वहां पर तेज आवाज के साथ बीच में लगी एक मशाल जल उठी।सब लोग अब उस बूढ़े आदमी की तरफ ही देखने लग गए।

"समय आ गया है ,वो जन्म लेने वाला है।हमे कुछ भी करके उसे ढूंढना होगा।वो सम्राट के हाथ नही लगना चाहिए।जाओ सब वक्त बहुत कम है।...."

उस बूढ़े आदमी के इतना बोलते ही एक एक करके सारे आदमी वहां से गायब होने लग गए....

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मीरा समुद्र के किनारे धीरे धीरे टहल रही थी ,कि तभी उसके पेट मे दर्द उठा और वो वहीं रेत पर बैठ गयी।मीरा का पूरा शरीर पसीने से भीग गया और उसकी दिल की धड़कने बढ़ गयी।मीरा   वही बैठे बैठे गहरी गहरी सांसें लेने लगी।मीरा का दर्द जब थोड़ा कम हुआ तो वो धीरे  धीरे कदम बढ़ाते हुए घर की तरफ जाने लगी।।

मीरा जब घर पहुंची तो वहां का सारा सामान इधर उधर बिखरा पड़ा था ,वो अब शीला को ढूंढने लग गयी पर पूरे घर मे शीला कहीं नही थी।एक बार फिर से मीरा के पेट मे जोर से दर्द उठा और वो वही बैठ गयी।मीरा समझ चुकी थी कि उसकी डिलीवरी का वक्त नजदीक आ चुका है।

दर्द के थम जाने पर मीरा एक बार फिर हिम्मत करके उठी पर अगले ही पल उसके मुंह से आह निकल गयी।मीरा इस समय खुद को बहुत लाचार समझ रही थी।वो इतना ज्यादा तनाव में आ गयी थी कि उसका बच्चा उसकी हालत से एक बार फिर से घबरा गया।अगले ही पल कमरे के खिड़की दरवाजे जोर जोर से हिलने लग गए.....

"नहीं बच्चा ,तुम घबराओ नही ....मैं तुम्हे कुछ नही होने दूंगी..."मीरा अपने पेट पर हाथ रखकर बोली

मीरा ने एक गहरी सांस ली और फिर हिम्मत करके उठ कर खड़ी हो गयी।मीरा को अब किसी के कराहने की आवाज सुनाई पड़ी।मीरा उस आवाज की दिशा में गयी तो देखा शीला एक कोने में लहूलुहान हालात में पड़ी हुई है।उसे देखकर मीरा और भी ज्यादा घबरा गयी ।

"काकी....ये क्या हुआ आपको....किसने किया ये सब..."

"मुझे नही पता मीरा....कुछ लोग यहां आए थे और वो तुम्हारे बारे में पूछ रहे थे...जब मैंने उन्हें तुम्हारे बारे में नही बताया तो वो मेरी ये हालत कर के चले गए....."

"मुझे तुमसे ये उम्मीद नही थी सम्राट....;काकी आप उठिए ...मैं आपको अस्पताल लेकर चलती हूँ...."

मीरा ,शीला को उठा ही रही थी कि दर्द की वजह से वो सम्भाल न पाई और जमीन पर बैठ कर चिल्लाने लगी..

"मीरा ,तुम्हारा डिलीवरी का वक्त आ चुका है;तुम्हे जल्दी से किसी अस्पताल में जाना होगा...."

"मैं कहीं नही जा सकती काकी...उन सबकी नजर से बच कर रहना है मुझे...मैं कहीं नही जा सकती...."

मीरा वही जमीन पर बैठी दर्द से कराह रही थी;शीला हिम्मत करके उठी और गर्म पानी और एक तौलिया ले आयी।वो मीरा को सहारा देकर उठाने लगी कि तभी उन्हें किसी के आने की आहट सुनाई दी....

शीला ने दरवाजे से झांक कर देखा और घबरा कर मीरा के पास आ गयी।मीरा उनका चेहरा देख कर सब समझ गयी।

"तुम्हे यहां से जाना होगा मीरा ...."

मीरा अब उठी और लड़खड़ाते कदमो से बाहर की ओर भागी।शीला वही पर अपनी आंखें बंद करके लेट गयी की तभी कुछ लोगो ने वहां पर प्रवेश किया।

"वो यही थी ,मैं महसूस कर सकती हूं..."एक औरत बोली

"पर नीमा तुम इतने यकीन के साथ कैसे बोल सकती हो..."

"भूलो मत की मेरे अंदर वो शक्ति है कि मैं हर वो हरकत पहचान सकती हूं जो प्राकृतिक नही है,देखो इन दरवाजो ,इन खिड़कियों की टूटी कांच को ...तुम्हे क्या लगता है कि ये सब किसने किया होगा....वो ज्यादा दूर नही गयी होगी ....जाओ पकड़ो उसे.."नीमा सबको आदेश देते हुए बोली

सभी लोग अब मीरा के पीछे दौड़े।मीरा अपना दर्द बर्दाश्त करते हुए बस भागी जा रही थी।भागते हुए उसे अपना बीता हुआ वक्त याद आ रहा था।उसके कदमो की रफ्तार धीमी पड़ती जा रही थी।दर्द की एक बहुत जोर की लहर आयी और मीरा वही गिर पड़ी।दूर -दूर तक मीरा को उसकी मदद के लिए कोई नजर नही आ रहा था।वो वही सड़क पर पड़े हुए जोर जोर से चिल्ला रही थी पर वहां उसकी आवाज सुनने वाला कोई नही था।

अचानक से मीरा को किसी के कदमो की आहट सुनाई दी जिससे मीरा को कुछ उम्मीद जगी।मदद के लिए पुकारने से पहले मीरा ने अपने हाथ की तरफ देखा।

"मेरी अँगूठी...."मीरा चिंतित स्वर में बोली

मीरा ने याद करने की कोशिश की पर उसे याद नही आया कि उसकी अँगूठी कहाँ गिर गयी।मीरा अब अपनी किस्मत पर जोर जोर से रोने लगी।उसका दर्द बढ़ता ही जा रहा था।मीरा का बच्चा अब किसी भी वक्त जन्म ले सकता था।

"बच्चा थोड़ी देर और ....मुझे तुम्हारे लिए सुरक्षित जगह ढूंढनी होगी....थोड़ा टाइम दे दो अपनी माँ को...मैं तुम्हे कुछ नही होने दूंगी....."मीरा बोली

अपनी सारी हिम्मत समेट कर मीरा एक बार फिर खड़ी हो गयी।अब तक वहां से गुजरने वाले तीन-चार लड़के पास आ चुके थे।उन्हें देखते ही मीरा ने भागना शुरू कर दिया।वो लड़के कुछ समझ नही पाए और वो भी मीरा के पीछे दौड़ने लगे।

मीरा बेतहाशा भागी जा रही थी।उसे कुछ भी समझ नही आ रहा था।आखिर में उसकी हिम्मत जवाब दे गई और वो वहीं सड़क पर  गिर पड़ी।वो चारो लड़के अब मीरा के चारो ओर खड़े थे।उन चारों लड़को को देख कर मीरा ने उनसे मदद की गुहार लगाई।तभी अचानक से बिजली चमकी ;मीरा ने देखा कि उन चारों लड़को के पीछे मुस्कुराती हुई नीमा खड़ी थी।
मीरा की हिम्मत अब जबाब दे चुकी थी।उसके मुंह से सम्राट का नाम निकला और उसकी आंखें बंद हो गयी...

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राज....एक पहेली
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ये कहानी है राज की ,जिसे उसकी मां मीरा उसके पिता से छुपा कर रखना चाहती है, वो किसी बात को लेकर बहुत ज्यादा डरी हुई है,तो वहीं दूसरी ओर मीरा का पति सम्राट और कुछ जादूगर लोग राज के जन्म लेने से पहले ही उसके पीछे पड़े हुए थे।मीरा के गुजर जाने के बाद राज के पीछे यही सारे लोग पड़ जाते हैं जिसका कारण राज को समझ नहीं आता,तो वहीं दूसरी ओर यामिनी है जो पहले तो राज को ख़त्म करने के लिए आती है पर फिर सच्चाई जानने के बाद वो राज की मदद करती है। आखिर कौन है राज और किस कारण से मीरा उसे सम्राट से दूर रख रही थी।आखिर किस लिए वो जादूगर राज के जन्म लेने से पहले ही उसके पीछे पड़े हुए थे. क्या थी वो सच्चाई जिसे जानने के बाद यामिनी का मन बदल गया.......जानने के लिए पढ़िए राज....एक पहेली

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