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राज....एक पहेली -1

5 अगस्त 2022

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आज काफी दिनों की बर्फबारी के बाद धूप खिली हुई थी।धूप निकलने की वजह से बर्फ पिघल कर रास्ते से हट चुकी थी।शिमला की सड़कों पर लोगो का आवागमन फिर से शुरू हो गया था ;वहीं दूसरी ओर एक सुनसान इलाके में बने कॉटेज की खिड़कियों से दो आंखे बाहर झांक रही थी।कॉटेज के बाहर का पूरा इलाका बर्फ से ढका हुआ था।
कॉटेज के बाहर लगे पेड़ -पौधे भी बर्फ की चादर ओढ़े सो रहे थे,तभी अपने घोंसले से खाने की तलाश में एक गिलहरी निकली और फुदकते हुए उसी खिड़की पर जा बैठी।पता नही उन गहरी नीली आंखों में क्या आकर्षण था कि वो गिलहरी सब कुछ भूल कर उन आंखों में खो गयी। उसकी गिलहरी को इस तरह देख काफी दिनों बाद उसके सूखे होठों पर मुस्कान आई। अपनी प्लेट से कुछ मूंगफली के दाने और काजू उठाकर उसने खिड़की पर रख दिए।वह गिलहरी जल्दी जल्दी से काजू उठा कर अपने मुंह में रखने लगी कि तभी एक काली बिल्ली उस गिलहरी पर झपट पड़ी ।ये देखकर उन नीली आंखों में क्रोध उतर आया।पता नहीं अचानक से क्या हुआ वह काली बिल्ली जमीन पर गिर तड़पने लगी और वह घायल गिलहरी उसके चंगुल से छूट कर अपने घोसले में छुप गई ।यह सब देख कर गहरी आंखों में एक बार फिर से डर समा गया और उनसे आंसू बाहर आने लग गए ।इतनी देर में एक 60- 65 साल की औरत कमरे में आई।

"मीरा ..क्या हुआ?तुम  इतनी घबराई हुई क्यों हो ..."वह औरत उस नीली आंखों वाली लड़की से बोली

"शीला काकी ...वो...." बिल्ली की तरफ इशारा करते हुए मीरा बोली

वह बिल्ली तड़प तड़प कर मर चुकी थी। उस बिल्ली को देखा और फिर मीरा को

"क्या यह सब इसकी वजह से हुआ ..."मीरा के पेट की तरफ इशारा करते हुए शीला ने कहा

अपने पेट पर हाथ रखते हुए मीरा ने हां में सर हिला दिया।

" असर दिखना शुरू हो गया है मीरा... तुम्हें होशियार रहना होगा ।"शीला ने कहा और बाहर चली गई

मीरा शीशे के सामने आकर खड़ी हो गई ।मीरा  इस समय 8 महीने की गर्भवती थी ।अपने पेट पर हाथ रखकर वह फफक कर रो पड़ी।अचानक से मीरा के पेट में कुछ हलचल शुरू हो गई जिससे वह घबरा कर वहीं ठंडी फर्श पर बैठ गयी।मीरा इस  हलचल को पहले से जानती थी।उसके चेहरे पर डर साफ साफ दिखने लगा ।अचानक से कमरे की बत्तियां जलने बुझने लग गयी जिसे देख मीरा और भी ज्यादा घबरा गयी।वो जोर जोर से चिल्ला कर शीला को बुलाने लगी।

" काकी ...काकी ...."मीरा चिल्ला रही थी

अब एक-एक करके कमरे के सारे बल्ब फूटने  लगे और एक-एक करके सारी चीजें अपनी जगह से जमीन पर गिरने लग गयी।शीला दौड़ते हुए कमरे में आ गई और यह सब नजारा देखकर वह भी घबरा गई ।शीला अब मीरा के  पास बैठ कर उसको संभालने लग गई ।

"शांत हो जाओ मीरा...बिल्कुल मत घबराओ मैं हूं यहां तुम्हारे पास ...देखो ये सब तुम्हारे डर की वजह से ही हो रहा है।वो डर रहा है मीरा ,शांत हो जाओ..."शीला ने मीरा को संभालते हुए कहा

मीरा शांत नहीं हो पा रही थी। अचानक से पानी का जग ऊपर टेबल से नीचे गिरने को हुआ, टेबल के नीचे ही मीरा बैठी हुई थी। उसने अपने सर को बचाने के लिए दोनों हाथों को अपने सर पर रख लिया पर वह पानी का जग आधी दूरी पर ही रुक गया ।मीरा ने उसको देखा और फिर अपने पेट पर हाथ रखा ।वह जब वापस से अपनी जगह पर पहुंच गया।

" शांत हो जाओ मेरा देखो तुम जितना ज्यादा घबराओगी, यह भी उतना ही घबराएगा , तुम जैसा महसूस करोगी यह भी वैसा ही महसूस करेगा.. तो हिम्मत से काम लेना होगा.." शीला ने मीरा के सर पर हाथ फेर कर उसे समझाया। शीला की बातों को सुनकर मेरा शांत हो गई और मीरा के शांत होते ही सब कुछ थम गया ।

शीला पानी लेने के लिए किचन में चली गई। मीरा धीरे से उठकर अब बेड पर बैठ गई और प्यार से अपने पेट पर हाथ फेरने लगी ।

"मुझे पता है तुम मेरी हर बात सुन सकते हो.. बहुत प्यार करते हो ना अपनी मां से ...किसी भी तकलीफ में नहीं दे सकते हो तुम  मुझे ...मेरी एक बात हमेशा याद रखना बेटा मैं रहूं या ना रहूं पर तुम्हें हमेशा अच्छाई के ही रास्ते पर चलना है... मानोगे ना अपनी मां की बात तुम..."मीरा अपने बढ़े  हुए पेट को सहलाती हुई बोली ।

शीला पानी और कुछ दवाइयां लेकर आ चुकी थी ।

"मुझे यहां से जाना होगा काकी...अब तक उनको पता चल गया होगा कि मैं कहां हूं ..वह लोग आते ही होंगे ..."मीरा  बोली

" पर तुम जाओगी कहां ....."शीला चिंता भरे स्वर में बोली

"वही जहां से शुरू किया था ..."मीरा बोली और अपना बैग पैक करने लग गई।

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एक अंधेरी सी गुफा के अंदर अचानक से मशालें जल उठी।मशालों से आते प्रकाश को देखकर आस -पास के लोगो मे खुसफुसाहट शुरू हो गयी।धीरे-धीरे उस गुफा के बाहर लोगो की भीड़ जमा होना शुरू हो गयी।

"हमे पता चल चुका है कि वो कहाँ है।हमे जल्द से जल्द उस तक पहुंचना होगा ताकि हम आने वाली अनहोनी को रोक पाएँ।"गुफा से बाहर आकर एक आदमी बोला

उस आदमी की बात सुनकर कुछ आदमी आगे आये और एक दूसरे का हाथ पकड़कर एक गोला बनाकर खड़े हो गए।गुफा से बाहर आने वाले आदमी ने कुछ मन मे बोला और अचानक से वो सारे आदमी गायब हो गए।

अचानक से वो सारे आदमी मीरा के कॉटेज के बाहर प्रकट हो गए।वो सारे आदमी इधर से उधर घूम घूम कर कुछ ढूंढने लगे।वो सब जब कॉटेज के अंदर पहुंचे तो उन्हें वहां कोई न मिला।

"तोड़ फोड़ देख कर लग रहा है जरूर यहां कुछ हुआ है।...."एक आदमी बोला

"मैं महसूस कर सकता हूँ ,ये सब उसी ने किया है।हमने जितना सोंच रखा है ये उससे कहीं ज्यादा शक्तिशाली है।"एक दूसरा आदमी बोला

"वो ज्यादा दूर नही गयी होगी ....चलो हम ढूंढते हैं...."

"इतने समय से क्या हम उसे ढूंढ पाए,वो तो इन गतिविधियों द्वारा ही हमको उसके होने का अंदेशा होता है ,वरना वो हमारे पास भी हो तब भी हम उसे नही पहचान पाएंगे..."

सभी लोगो ने अब फिर एक दूसरे का हाथ पकड़ कर घेरा बनाया और गायब हो गए।

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"हाहाहा...."तुम लोगो को क्या लगता है कि तुम लोग उसे पकड़ पाओगे।वो मीरा है .....मेरी मीरा....मैं जानता हूं उसे ।तुम लोग जितनी भी कोशिश कर लो वो तुम लोगो की गिरफ्त में कभी नही आएगी।बस थोड़ा सा समय और उसके बाद इस दुनिया मे मेरा अंश जन्म लेगा ....जो तुम सब लोगो का अंत होगा....तुम लोग उसकी शक्तियों की कल्पना भी नही कर सकते।....मैं तुम्हे देखते ही समझ गया था मीरा की तुम ही हो जो मेरे इस सपने को पूरा कर सकती हो ......."एक अंधेरे कमरे में बैठा आदमी शराब पीते हुए खुद से ही बातें किये जा रहा था।

मीरा बर्फीले रास्तो पर चलती जा रही थी।सड़क पर पहुंच कर वो एक बस में चढ़ गई और चल पड़ी एक नए रास्ते की ओर.....

अगला भाग जल्द ही

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राज....एक पहेली
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ये कहानी है राज की ,जिसे उसकी मां मीरा उसके पिता से छुपा कर रखना चाहती है, वो किसी बात को लेकर बहुत ज्यादा डरी हुई है,तो वहीं दूसरी ओर मीरा का पति सम्राट और कुछ जादूगर लोग राज के जन्म लेने से पहले ही उसके पीछे पड़े हुए थे।मीरा के गुजर जाने के बाद राज के पीछे यही सारे लोग पड़ जाते हैं जिसका कारण राज को समझ नहीं आता,तो वहीं दूसरी ओर यामिनी है जो पहले तो राज को ख़त्म करने के लिए आती है पर फिर सच्चाई जानने के बाद वो राज की मदद करती है। आखिर कौन है राज और किस कारण से मीरा उसे सम्राट से दूर रख रही थी।आखिर किस लिए वो जादूगर राज के जन्म लेने से पहले ही उसके पीछे पड़े हुए थे. क्या थी वो सच्चाई जिसे जानने के बाद यामिनी का मन बदल गया.......जानने के लिए पढ़िए राज....एक पहेली

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