*बुंदेली कुण्डलिया:-*दारू में गुन भौत है, दारू करती ढ़ेर।दारू से कइयक मिटे, पार लगे ना फैर।।पार लगे ना फेर, ग्रहस्थी चौपट देखें |आन-वान सँग
#जय_बुंदेली_साहित्य_समूह #बुंदेली दोहा बिषय- #बतकाव सबइ जगत्तर जानतइ , बुंदेली बतकाव | लगै रसीले आम-सो , #राना सबखौ भाव || जौ अपने बतकाव से , सबखौ लेतइ जीत | #राना ऊकै पास से , दूर
#जय_बुंदेली_साहित्य_समूह #टीकमगढ़ #ग़ज़ल- राना सवाल रखता है-* उसी से रिश्ता बनाते जो माल रखता है। जहां में कौन किसी का ख्याल रखता है।। मतदाता भी लाचार है और लालची। चुनाव में तो वो, वादों का जाल रखता ह
*#ग़ज़ल-ऐसे भी होते है लोग-*खूब मेहनतकश जो थककर चूर जब होते हैं लोग।चिलचिलाती धूप में पत्थर पे भी सोते हैं लोग।।इंसान है इंसानियत से भी तो रहना सीख लें।हैवान बनके नफ़रतों के बीज क्यों होते हैं लोग।।लौ
गुरू पूर्णिमा पर विशेष- "गुरु को समर्पित दोहे" आज दिवस गुरु पूर्णिमा, मना रहे हम आप । इष्ट मंत्र का नित्य ही, करिए मन से जाप ।।
*हिंदी दोहा बिषम-धुन**1*उनकी धुन #राना नमन, जिनके अद्भुत काम |उनमें से ही एक थे , जिनका नाम कलाम ||*2*भगतसिंह- आजाद का ,#राना है सम्मान
*हिंदी दोहे- बिषय- मंत्र* *1*मूल मंत्र #राना रखो , विद्या विनय विवेक |बाधाएँ सब दूर हों ,मिले सफलता नेक || &