मध्यप्रदेश के सिहोर शहर का निवासी। सीखता हूं , सीख रहा हूं, ।सामान्य लेखक।
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आंखों से बरसती है जो कभी, आंखों में बसा करती थी वो कभी, आंखों से झलका करती थी जो कभी, आंखों से बचा करती है वो अभी, आंखों से ही बयां करती थी जो, आंखों में ही गुम है अभी, "मेरी अधूरी कहानी" Ramakant pan
दोस्त का कॉल आया सुन प्राइवेट बैंक में केशियर का पद खाली है ,करेगा क्या ? मस्त सैलरी है। मैंने कहा तेरी दाढ़ी में सफेद बाल आ गए हैं ना ? उसने कहा क्या ? मैंने कहा तू सुबह 8:30 -9 बजे जाता ह
में उसे देखते ही पहचान गया चहरे पर प्रसन्नता लिये में उसकी डेस्क के पास गया , डेस्क के पास देखते ही उसने मुझे सर कह कर संबोधित किया, उसके सर कहते ही मुझे कुछ अजीब लगा, साथ ही बैंक में आने का कारण भी य