में उसे देखते ही पहचान गया चहरे पर प्रसन्नता लिये में उसकी डेस्क के पास गया ,
डेस्क के पास देखते ही उसने मुझे सर कह कर संबोधित किया, उसके सर कहते ही मुझे कुछ अजीब लगा, साथ ही बैंक में आने का कारण भी याद आया।
मेने अपना नाम बताया और एक स्माइल दी (सभ्य मुस्कान)।
उसने कहा - जी कहिये ।
मेने कहा- वैसे तो में यहाँ गोल्ड लोन करवाने आया था तुम शायद मुझे पहचान नही पायी, में एस. एस. स्कूल में तुम्हारे साथ ही पड़ता था।
उसने कहा -अच्छा हा हो सकता है मुझे ज्यादा ध्यान नही
तो तुम्हे गोल्ड लोन चाहिए ?
आज तो बहुत रश है तुम प्लीज् कल आ जाना में करवा दूंगी।ok
इतना कह के वो फ़ोन ले कर मैनेजर के रूम में चली गयी।
में जल्द ही बैंक से बाहर आ गया।
हममे से कुछ लोग लोगो ओर चीज़ो को दिल से लगा कर बैठते है, पुराने समय को , दोस्तो को याद रखते है,
जमाना बदल गया है मूल्य बदल रहे है, समय की कमी ने रिश्तों को औपचारिकता में तब्दील कर दिया है।शायद यही है आजकल का एडवांस होना।
रमाकांत पंडित सीहोर