आंखों से बरसती है जो कभी,
आंखों में बसा करती थी वो कभी,
आंखों से झलका करती थी जो कभी,
आंखों से बचा करती है वो अभी,
आंखों से ही बयां करती थी जो,
आंखों में ही गुम है अभी,
"मेरी अधूरी कहानी"
Ramakant pandit sehore
30 मार्च 2022
आंखों से बरसती है जो कभी,
आंखों में बसा करती थी वो कभी,
आंखों से झलका करती थी जो कभी,
आंखों से बचा करती है वो अभी,
आंखों से ही बयां करती थी जो,
आंखों में ही गुम है अभी,
"मेरी अधूरी कहानी"
Ramakant pandit sehore
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मध्यप्रदेश के सिहोर शहर का निवासी। सीखता हूं , सीख रहा हूं, ।सामान्य लेखक।D
वो आंखें महज़ आंखें नहीं दिल हुआ करती हैं, जिसमें फकत रोशनी नहीं किसी की तस्वीर भी रहती है।🌸🙏💮
31 मार्च 2022