रमेश पोखरियाल ‘निशंक'
रमेश पोखरियाल "निशंक", एक भारतीय राजनेता हैं जिन्हें 31 मई 2019 को मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था और जुलाई 2020 तक, मंत्रालय के नाम परिवर्तन के बाद, उनका मंत्री पद शिक्षा मंत्री हो गया था जन्म : 15 जुलाई वर्ष 1959 स्थान : ग्राम पिनानी, जनपद पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)। साहित्य, संस्कृति और राजनीति में समान रूप से पकड़ रखनेवाले डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की कहानी, कविता, उपन्यास, पर्यटन, तीर्थाटन, संस्मरण एवं व्यक्तित्व विकास जैसी अनेक विधाओं में अब तक पाँच दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। उनके साहित्य का अनुवाद अंग्रेजी, रूसी, फ्रेंच, जर्मन, नेपाली, क्रिओल, स्पेनिश आदि विदेशी भाषाओं सहित तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, संस्कृत, गुजराती, बांग्ला, मराठी आदि अनेक भारतीय भाषाओं में हुआ है। साथ ही उनका साहित्य देश एवं विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जा रहा है। कई विश्वविद्यालयों में उनके साहित्य पर शोध कार्य हुआ तथा हो रहा है। उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए देश के चार राष्ट्रपतियों द्वारा राष्ट्रपति भवन में सम्मानित। विश्व के लगभग बीस देशों में भ्रमण कर उत्कृष्ट साहित्य सृजन किया। गंगा, हिमालय और पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन हेतु सम्मानित। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद तथा लोकसभा की सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति के सभापति।
भारतीय संस्कृति सभ्यता एवं परंपरा
विश्व में अनेक संस्कृतियों का विकास हुआ और समय के साथ वह विलीन भी हो गयीं। भारतीय संस्कृति विश्व की अत्यन्त प्राचीन और श्रेष्ठ संस्कृति है। यह लौकिकता, अधिभौतिकता और भोगवाद के बजाय आध्यात्मवाद और आत्मतत्व की भावना पर केन्द्रित है, जिसका मूल लक्ष्य शा
भारतीय संस्कृति सभ्यता एवं परंपरा
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रमेश पोखरियाल ‘निशंक' की लोकप्रिय कहानियाँ
रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी का साहित्य में एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। समय और समाज की विद्रूपता को रेखांकित करना, विसंगतियों को उकेरना और विषमताओं पर कलम चलाना, निशंकजी के साहित्य सृजन का एक ऐसा पक्ष है, जो साहित्य को आमजन का साहित्य बनाता है। निशंकजी की
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रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी का साहित्य में एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। समय और समाज की विद्रूपता को रेखांकित करना, विसंगतियों को उकेरना और विषमताओं पर कलम चलाना, निशंकजी के साहित्य सृजन का एक ऐसा पक्ष है, जो साहित्य को आमजन का साहित्य बनाता है। निशंकजी की
हिमनद - मानव-जीवन का आधार
जल जीवन का आधार है और हिमनद जल का स्रोत बड़े-बड़े हिमखंड, जो अपने ही भार के कारण निम्न भूमि की ओर खिसकते रहते हैं, बर्फ के ऐसे ही विशाल संग्रह को हिमनद कहते हैं। यही ठोस बर्फ पिघलकर नदी के रूप में बहती है जो मानव ही नहीं, प्राणिमात्र को शुद्ध और स्वच
हिमनद - मानव-जीवन का आधार
जल जीवन का आधार है और हिमनद जल का स्रोत बड़े-बड़े हिमखंड, जो अपने ही भार के कारण निम्न भूमि की ओर खिसकते रहते हैं, बर्फ के ऐसे ही विशाल संग्रह को हिमनद कहते हैं। यही ठोस बर्फ पिघलकर नदी के रूप में बहती है जो मानव ही नहीं, प्राणिमात्र को शुद्ध और स्वच
हिमालय में टैगोर और गीतांजलि - भाग-3
भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रीयगान के रचयेता गुरुदेव देश के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता रहे। यह पुरस्कार उन्हें उनकी कालजयी कृति 'गीतांजलि' के लिए मिला। गीतांजलि को मूर्तरूप गुरुदेव ने यहीं उत्तराखंड के नैनीताल जिला अंतर्गत रामगढ़ में दिया। यहाँ वह 19
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सफलता के अचूक मंत्र
इस पुस्तक में मैंने उद्यमियों के बहुत ज्यादा उदाहरण दिये हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि आप केवल उद्योगपति बनें, अपितु यह है कि उनकी सफलता से सीखें। वास्तव में हर क्षेत्र, चाहे वह सरकारी या निजी क्षेत्र में नौकरी हो, राजनीति हो या उद्यमों की दुनिया-हर ज
सफलता के अचूक मंत्र
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पंडित दीनदयाल उपाध्याय
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम भारतीय राजनीति में बड़े ही अदब से लिया जाता रहा है। वह एक मात्र ऐसे नेता थे जिन्हें पक्ष-विपक्ष दोनों ही तरफ से सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। उन्होंने राजनीति के नये मापदंडों का सृजन किया। यही उनकी विशेष उपलब्धि मानी
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युग पुरुष भारत रत्न अटल जी
भारतीय संस्कृति के पुरोधा, राजनीति में दैदीप्यमान सितारा, सरल संवेदनशील, सहृदय व्यक्तित्व, जिसने अपना सर्वस्व मां भारती को अर्पण किया, ऐसे युगपुरुष के विषय में लिखना मेरे लिए गौरव का विषय हैं। भारतीय राजनीति के शिखरपुरुष अजातशत्रु एवं पूर्व प्रधानमंत
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प्रलय के बीच - केदारनाथ त्रासदी
प्रलय के बीच' निश्चित रूप से एक बहुत ही महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो कई वर्षों के बाद भी नई पीढ़ी को इस विनाशकारी घटना के बारे में एक प्रामाणिक जानकारी देता रहेगा। यह एक बहुत ही अजीबोगरीब उपन्यास में लिखा गया है जो डायरी, नवीनीकरण और रिपोर्ताज लेखन की श
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