भारतीय संस्कृति के पुरोधा, राजनीति में दैदीप्यमान सितारा, सरल संवेदनशील, सहृदय व्यक्तित्व, जिसने अपना सर्वस्व मां भारती को अर्पण किया, ऐसे युगपुरुष के विषय में लिखना मेरे लिए गौरव का विषय हैं। भारतीय राजनीति के शिखरपुरुष अजातशत्रु एवं पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्री अटल विहारी वाजपेयी भारत के ऐसे दुर्लभ नेताओं में एक हैं जिनकी सर्वत्र स्वीकार्यता रही और इसी कारण उन्हें जननायक की छवि प्राप्त हुई हैं। वे ऐसे नेता हैं जिनकी स्वीकार्यता जाति, धर्म, संप्रदाय, पार्टी और दल की विचारधारा से हटकर न सिर्फ भारत अपितु संपूर्ण विश्व के हर वर्ग और हर उम्र के जनमानस में हैं। वह एक सफल कवि, पत्रकार, प्रवक्ता, विचारक और ओजस्वी राजनेता के अतिरिक्त बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। वह जनसंघ के संस्थापक सदस्य रहे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रहे, संघ के मुख्यपत्र राष्ट्रधर्म के संपादक रहे, दशकों तक नेता प्रतिपक्ष रहे, विदेश मंत्री रहे और तीन-तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहें। अटल जी ओजस्वी कवि और प्रखर वक्ता के साथ-साथ बेमिसाल नेतृत्व क्षमता के धनी पुरुष हैं एक ओर सक्रिय राजनीति में रहते हुए भी उन्होंने हृदयस्पर्शी और संवेदनशील कविताओं के द्वारा साहित्य जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई, वहीं दूसरी ओर अपने खास अंदाज और भाव-भंगिमाओं के साथ दिल को छूने वाली अद्भुत भाषण क्षमता के लिए चर्चित रहें हैं।
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