जल जीवन का आधार है और हिमनद जल का स्रोत बड़े-बड़े हिमखंड, जो अपने ही भार के कारण निम्न भूमि की ओर खिसकते रहते हैं, बर्फ के ऐसे ही विशाल संग्रह को हिमनद कहते हैं। यही ठोस बर्फ पिघलकर नदी के रूप में बहती है जो मानव ही नहीं, प्राणिमात्र को शुद्ध और स्वच्छ जल उपलब्ध कराने का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्रोत है। दुर्भाग्य से, आज वैश्विक मानवीय गतिविधियों के कारण दोनों ध्रुवों एवं हिमालय समेत संसार के सभी अन्य पर्वत शृंखलाएँ भी अप्रत्याशित रूप से पिघलने शुरू हो गए हैं और मानवमात्र के लिए गंभीर खतरा बन गए हैं। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक, डॉ. 'निशंक' ने हिमनद को 'मानव जीवन का आधार' निरूपित करते हुए, हिमालय क्षेत्र के विशेष संदर्भ में, हिमनद के संबंध में परिचयात्मक जानकारी के अलावा, हिमनदों पर मानवीय गतिविधियों के दुष्प्रभाव एवं हिमनद की क्षति को रोकने के उपायों पर भी गहन विचार किया है।
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