- "समझ लेना कि होली है" करें जब पाँव खुद नर्तन, समझ लेना कि होली है। हिलोरें खा रहा हो मन, समझ लेना कि होली है। दीदार को तरसती हों बेकरार तकती आंखें, उसे छूने का आये क्षण, समझ लेना कि होली है। कभी खोलो झुलस कर आप , अपने घर का दरवाजा खड़े देहरी पे हों अपने, समझ लेना कि होली है । ज़िन्दगी है यूं तो, इक कांटों भरा जंगल, गर लगने लगे मधुबन, समझ लेना कि होली है। अगर महसूस हो तुमको, कभी जब सांस लेते हो हवाओं में घुला चन्दन, समझ लेना कि होली है खींचे ध्यान बरबस ही, धुनें पसंद गीतों की थिरके ताल पे धड़कन, समझ लेना कि होली है। पकवानों से सजी हो थाल, और स्वाद रस मुँह में आ जाये समझ लेना कि होली है। समझ लेना कि होली है...बहुत बहुत शुभकामनाएँ।