अभी परसों यानि 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया गया. यह मानव जाति को जल के महत्त्व की ओर ध्यान आकृष्ट कराने हेतु पिछले पच्चीस वर्षों से मनाया जा रहा है. EA की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक़ सन् 2025 तक भारत जल संकट वाला देश हो जायेगा।प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को मनाये जाने वाले विश्व जल दिवस की 2016 की थीम थी- जल और नौकरियाँ।आज विश्व के 1.5 अरब लोग जल से संबंधित विभिन्न सेक्टरों में कार्य करते हैं।प्रकृति द्वारा प्रदत्त समस्त जीवों को सहज उपलब्ध जल को मानव ने अपने लालच में कोमोडिटी में परिणत कर दिया है।बेहतर प्रबंधन के नाम पर इसे प्राइवेट क्षेत्र को सौंपने की तैयारी है।समाज और सरकार को चेतने की जरूरत है।वर्ना इसके भयंकर दुष्परिणाम होंगे।कहीं अगले विश्व- युद्ध का यह कारण न बन जाये।साथ ही पारिस्थितिक असंतुलन की भी ये वजह हो सकती है।याद रहे, जल पर सिर्फ मानव का अधिकार नहीं हो सकता।धरती के समस्त जीवों का इस पर सामान अधिकार है।निम्नलिखित उपायों से जल संरक्षण के लक्ष्य को प्राप्त करना संभव हो सकता है- जल को व्यर्थ बर्बाद न करें।घरेलु उपयोग के लिये, यथा कपडे व बर्तन धोने,शौचादि,बागवानी, गाड़ियों की सफाई आदि में जल का नियंत्रित उपयोग सुनिश्चित करें।जल की उपलब्धता के आधार पर तथा उन्नत कृषि प्रणाली को अपनाकर समुचित फसलों का उत्पादन किया जाये। औद्योगिक इकाइयों को विलवणीकरण व रिसाइक्लिंग आदि द्वारा जल प्रबंधन करना होगा।भूगर्भ जल के गिरते स्तर को ऊँचा उठाने हेतु बोरवेल के इस्तेमाल को हतोत्साहित करना चाहिये।सार्वजानिक पोखरों, तालाबों,के श्रोतों के अवरोधों को हटाया जाये व उनपर अतिक्रमण को रोका जाये ।विद्यालय में प्रारम्भिक पाठ्यक्रमों से ही जल संरक्षण की महत्ता सिखाएं।औद्योगिक इकाईयां अवशिष्ट जल को जल श्रोतों में सीधे न जाने दें, बल्कि उन्हें रिसाइकिल कर कृषि योग्य बनायें व इसका इस्तेमाल कृषि के लिए हो।हवा की तरह जल भी सभी प्राणियों को सहज उपलब्ध हो,यह सुनिश्चित करना सरकार व उनकी स्थानीय बॉडी की जिम्मेदारी होनी चाहिये।
विनय कुमार सिंह