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डर के आगे…एक शीतल पेय के विज्ञापन की आख़िरी पंक्ति से बात शुरू करते हैं,डर के आगे......जीत है.विज्ञापन में तो अतिशयोक्तिपूर्णदावा किया गया है.परंतु क्या ये मुमकिन है?यदि हाँ,तो कैसे?संस्कृत का एक श्लोक हमारा मार्गदर्शन कर सकता है-तावद्भय
सौराष्ट्र गौरव:लोक गायक हेमु गढ़वी 07दिसंबर 2007 का वह अविस्मरणीय दिवस था.ग्यारहवीं अंतर
<p>सुबोध अब घर में ऊबने लगा था. लगभग ग्यारह-बारह वर्ष का बालक इस बात से अनभिज्ञ था कि किसी अज्ञात दु