यह पुस्तक राजेन्द्र यादव की पुस्तक शृंखला ‘कांटे की बात’ का ग्यारवी पुस्तक है। यह पुस्तक बताती है कि उत्तर-भारत में खासतौर पर हिन्दी-समाज का आचार-व्यवहार, सोच-विचार जिन तीन तत्त्वों से निर्मित और संचालित होता है वे है मनुस्मृति, रामचरितमानस और गंगा नदी। हिन्दू-मुस्लिम में इसी त्रिवेणी का वास बना रहता है। यह पुस्तक वेद-उपनिषदों कि बात नहीं करती क्योंकि वे सामान्य जन से दूर हैं। अतः यह पुस्तक जमीनी स्तर पर जनता के हक़ कि बात करती है। Read more