तुम्हारा चले जाना
एक बुरा सपना सा है
वो बुरा सपना..
जो नींद में तो डराता ही है,
नींद टूटने पर
कर देता है जीना हराम
और दुबारा नींद लगने नहीं देता।
तमाम कोशिशों के बाद भी
नहीं बंद हो पाती है आंखे
और जब आंख लग भी जाती है
तो फिर होता है आंखों के सामने
तुम्हारा हाथ छुड़ाकर जाना।
कितनी जद्दोजहद के बाद
किसी तरह से आती है नींद
और फिर सुबह..
एक झटके से नींद खुलती है
दिल की धड़कन होती है इतनी तेज
जैसे मालूम होता है कि
दिल सीने को चीर कर
निकल आएगा बाहर।
वही बुरा सपना
होता है आंखों के सामने।
भूले नहीं भूलता
लेकिन तुम सामने नहीं होती
नहीं होता है मौका मेरे हाथ में
तुम्हें पाने का
तुम्हें अपना बनाने का..!!