सरैया तुम पीछे वाले बेंच पर बैठो। चलो चलो सब बच्चों अपनी अपनी कल की होमवर्क निकालो। सभी बच्चे सिर्फ लड़के थे सभी ने होमवर्क दिखाया। सरैया ने जब अपना होमवर्क दिखाया तभी वहाँ के टीचर ने कहा- तेरा क्या करना हैं देखकर तू क्या करेगी पढ़कर।
ऐसा कह टीचर के साथ सभी बच्चे हँसने लगे।
सरैया फिर से वहाँ से मुस्कुरा कर चल गई। लेकिन ऊपर से हँस तो रही थी लेकिन अंदर से अकेलेपन का अहसास
बहुत खलता था।
40 लड़के के बीच सरैया अकेले ही लड़की थी। उस गाँव मे लड़की को पढ़ना एक गुनाह माना जाता था। सरैया ने स्कूल का एग्जाम पास की थी और लड़कियां पास नहीं कर पाई थी। इसलिए सरैया अपने क्लास मे अकेले थी। टीचर भी सरैया को जानभूझ क्लास मे फैल कर देते। दोबारा एग्जाम देने कहते।
सरैया बिल्कुल भी नहीं घबराती थी फिर से एग्जाम देकर सिर्फ पास ही होती थी। ऐसी रूढ़िवादी कब तक चलती।
एक दिन एक लेडी कलेक्टर मैडम उस गाँव मे visit करने आई थी। वहाँ जब वो स्कूल गई थी। वहाँ मैडम ने सबका एक टेस्ट लिया। कुछ फैल हुए कुछ पास।
लेकिन जब मैडम ने अटेंडेंस फाइलें देखी तो उसमे सरैया नाम की लड़की ने तो एग्जाम दिया ही नहीं था। मैडम ने टीचर से कहा- सर ये लड़की नहीं आई एग्जाम देने।
टीचर- अभी बुला देते हैं।
जब सरैया ने टेस्ट दिया सबसे अच्छे अंक ले आई।
तब मैडम ने पूछा- अरे वाह बेटा आप तो बहुत अच्छे नंबर से हो गई और आप टेस्ट देने क्यु आई थी।
सरैया- मै लड़की हूँ ना मैडम मुझे किसी ने नहीं कहा। टेस्ट के बारे मे। सर ने भी नहीं बताया।
मैडम- अच्छा और तुम क्लास मे एक ही लड़की हो।
सरैया- मैडम यहाँ लड़की को पढ़ाना नहीं चाहते और मै तो क्लास मे पीछे वाले बेंच पर बैठती हूँ। यहाँ तक मुझसे दोबारा एग्जाम लिया जाता हैं
ये सुन मैडम को बहुत गुस्सा आया और कहा- ये सब क्या हैं आप सबको जॉब से निकला जाएगा।
मैडम ने सरैया से कहा- तुमने हिम्मत की। अब सब लड़की पढ़ ।
उस गाँव मे सरैया कारण आज सभी लड़कियां पढ़ पा रही हैं। आज भी सरैया उस तन्हाई को भुला नहीं पा रही हैं।