दो पिता अपनी बेटी की परवरिश के नतीजे।
रोजी का पिता
जो बहुत ही खुले विचारों वाला था जो अपनी बेटी को बहुत ही छुट दे रखी थी। सभी बाते अपने पिता से शेयर करती। कही भी अकेले ही आती जाती।
खुद से सब कुछ करना सीखो। आगे चल के तुम्हे अपनी जिम्मेदारी खुद संभालनी हैं।
आज रोजी जॉब भी करती हैं घर बाहर संभालना काफी आसानी हो जाती हैं अपने पिता की अभारी हैं क्यूकि उनके वजह से सब हो पाया हैं किसी भी मुसीबत से नहीं डरती हैं।
माही का पिता
जिसका सोच था बेटियाँ घर के अंदर रहे और घर का सारा काम करे। अगर बाहर जाएगी तो भाग जाएगी। लड़कियो तो बस घर के अंदर ही कैद रहती हैं क्या घर ही तो संभालना हैं।
आज माही बस घर के अंदर तक सीमित नहीं है क्यू कि
पति घर के बाहर है तो सारी जिम्मेदारी आ गई हैं लेकिन
उसे बहुत परेशानी होती हैं किसी मुसीबत मे बहुत डरती हैं
इसलिए अपने पिता को हमेशा कोसती हैं।