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शहर उजड़ा हुआ

27 अगस्त 2022

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जो रूठे थे उन्हें फिर से , मनाने चल दिए है हम ।

शहर उजड़ा हुआ फिर से , बसाने चल दिए है हम ।।

मेरे महबूब का चेहरा , भी इक दिन मुस्कुराएगा ,,

चलेगा जिस सफर पर ,खूबसूरत हो ही जायेगा  ,,

सफ़र में उनकी अब दरीयां , बिछाने चल दिए है हम ।।

शहर उजड़ा हुआ ..........

नही है जिंदगी का  कुछ , ठिकाना ए मेरे हम दम,,

दिए थे घाव जो मैने , मिला तुझको नहीं मरहम ,,

तेरे घावों पे अब मरहम , लगाने चल दिए है हम ।।

शहर उजड़ा हुआ ...........

मुकद्दर ने मुझे समझा , भटकता सा कोई चेहरा ,

गुजरती जिंदगी में मैं , नही इक पल कही ठहरा,,

नई फिर से कोई दुनिया , सजाने चल दिए है हम ।।

शहर उजड़ा हुआ ............

तेरे हांथो की वो लाली , मेरे कारण से उतरी थी ,

जमाने भर के तानों को , सुना सुन कर के गुजरी थी ,,

बिक्की मेहँदी तेरे हाथों , रचाने चल दिए है हम ||

शहर उजड़ा हुआ .............

अभिषेक मिश्र (बिक्की)

तरौली मुबारक पुर

अम्बेडकर नगर

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