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शशि शर्मा 'खुशी' के बारे में

नाम- शशि शर्मा 'खुशी'... जन्म स्थान- सिलारपुर (हरियाणा) व्यवसाय - हाऊसवाईफ,, मूल निवास स्थान हनुमानगढ (राजस्थान) है | पतिदेव श्री अरूण शर्मा, की जॉब ट्रांसफरेबल है सो स्थान बदलता रहता है | पढने का बेहद शौक है,,,, अब लेखन भी शुरू कर दिया है | कुछ विविध पत्र-पत्रिकाओं में मेरी कवितायें प्रकाशित हो चुकी हैं | पाँच साझा संग्रह प्रकाशित होने वाले हैं जिनमें एक वर्ण पिरामिड विधा पर आधारित है | ये नई विधा मैंने अभी सीखी है इसके अलावा एक हायकु संग्रह भी ये विधा भी अभी अभी सीखी है | नई चीजों को सीखने का शौक सदा से ही रहा है सो सीखने का कार्य तो ताउम्र चलता ही रहेगा | देखें आगे जीवन किस मोड पर ले जाता है :)

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शशि शर्मा 'खुशी' की पुस्तकें

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मन के भावों को शब्द रूप दे बही ह्रदय की शब्द सरिता

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शशि शर्मा 'खुशी' के लेख

~ शब्दों का नकारात्मक व सकारात्मक पहलू ~

6 फरवरी 2016
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शब्द ,वो है जो अगर सोच-समझकर ना बोले जाएँ तो बवाल मचा सकते हैं । शब्द वो हैं, जो किसी को तीखे तीर से भी गहरे घाव दे सकते हैं तो किसी दुखी हृदय के लिए मरहम भी बन सकते हैं । 'तोल-मोल के बोल ' और " ऐसी वाणी बोलिए ,जो मन का आपा खोय । औरन को शीतल करे,आपहूँ  शीतल होय ॥ " ये सब हमारे संत और ऋषि -मुनियों ने

वर्ण-पिरामिड

6 फरवरी 2016
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*जिंदगी*1.हैटेढीपहेलीजिंदगानीजो सुलझायेवही बना ज्ञानीशेष रहे अज्ञानी ==========*मधुर गान*2.हेरामअमृततेरा नाममधुर गानगाँऊ दिन रैनआये दिल को चैन===========*जीव*3.जोजीवजीवनजीता जाताजिंदादिली सेजरावस्था डरेजवान सदा रहे============*शीत लहर*4.लोआईठण्डकबेरहमशीत लहरढाती है कहरजिनके कच्चे घर=============*कम्

*** दुख व खुशियाँ***

3 फरवरी 2016
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मेरी खुशियाँ सिर्फ मेरी नहीं होती, बिखरा देती हूँ उन्हें अपने इर्द गिर्द।फिर जो भी आता मेरे दायरे में,,, वो उसकी भी खुशियाँ हो जाती हैं |भीग जाता,,, हो जाता सराबोर वो भी, उस खुशी की महक से । वो भीनी भीनी खुश्बू खुशी की, कर देती मजबूर उसे भी खुश हो जाने को। खुश हो कर खुशियाँ लुटाने को मेरे दुख सिर्फ

मतलबी क्यूँ हो गए हैं ???

3 फरवरी 2016
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आज ये सवाल हर इंसान के दिल में उठता है की आज लोग इतने मतलबी क्यूँ हो गए है ? इसमें ऐसी आश्चर्य वाली कोई बात नहीं है कि ऐसा क्यूँ है ? सच तो यही है कि संसार का हर रिश्ता जरुरत का रिश्ता है, हर प्राणी एक दुसरे से जरुरत के तहत जुडा हुआ है। जब प्राणी शिशु रूप में जन्म लेता है तब वो असहाय होता है, पुर्णत

भाव और शब्द :-

29 दिसम्बर 2015
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भावों को शब्द देना मानो समुद्र को तालाब की संज्ञा देना,,, भाव बहुत ही गहरे होते हैं, शब्दों की पहुंच वहाँ तक नही हो पाती, शब्दों की अपनी सीमितता है. वो गहरे भावों को खुद में समेट पाने में असमर्थ होते हैं. जब भी हम अपने भावों को शब्दों में जाहिर करने की नाकाम सी कोशिश करते हैं तो चाहे कितने भी शब्द प

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