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भाव और शब्द :-

29 दिसम्बर 2015

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भावों को शब्द देना मानो समुद्र को तालाब की संज्ञा देना,,, भाव बहुत ही गहरे होते हैं, शब्दों की पहुंच वहाँ तक नही हो पाती, शब्दों की अपनी सीमितता है. वो गहरे भावों को खुद में समेट पाने में असमर्थ होते हैं. जब भी हम अपने भावों को शब्दों में जाहिर करने की नाकाम सी कोशिश करते हैं तो चाहे कितने भी शब्द प्रयोग में ले लें फिर भी लगता है कुछ अधुरा सा है, जो कहना चाह रहे थे वो अभी भी पूरी तरह से कह नही पाये,,, वो अधुरा सा इसिलिये लगता है क्योंकि भाव सिर्फ और सिर्फ महसूस ही किये जा सकते हैं शब्दों मे उन्हें समझाया नही जा सकता, बस कहा जा सकता है,,, कहे जाने में भाव हमेशा अधुरे ही रहेंगे चाहे करोडों शब्दों का इस्तेमाल क्युँ ना कर लिया जाये. फिर भी शब्द ही हैं जो हमारे भावों को अन्य तक पहूँचाने का माध्यम है. ये बेशक भावों की गहराई तक ना पहुँच पायें पर हमारे ह्र्दय में उत्पन्न हुये भावों का आभास तो दे ही जाते हैं. इसिलिये शब्द भी उतने ही महत्वपुर्ण हैं जितने कि हमारे भाव. रचनायें हमारे उन भावों को अभिव्यक्ति ही तो है. हम अपनी कविता - कहानी में अपने भावों को ही तो शब्दों के माध्यम से पिरोते हैं, जैसे एक एक मोती को पिरोने के बाद ही एक माला बनती है ठीक वैसे ही एक एक भाव को शब्दों में ढालने पर कविता व कहानी बनती है.

                                                       ------ शशि शर्मा 'खुशी'

शशि शर्मा 'खुशी' की अन्य किताबें

नीरज चंदेल

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बेहतरीन लेख

30 दिसम्बर 2015

नेहा

नेहा

जैसे एक एक मोती को पिरोने के बाद ही एक माला बनती है ठीक वैसे ही एक एक भाव को शब्दों में ढालने पर कविता व कहानी बनती है. बहुत खूब

30 दिसम्बर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

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'भाव और शब्द'.......अति सुन्दर प्रस्तुति !

30 दिसम्बर 2015

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रचनाएँ
shabdsarita
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मन के भावों को शब्द रूप दे बही ह्रदय की शब्द सरिता
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मतलबी क्यूँ हो गए हैं ???

3 फरवरी 2016
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आज ये सवाल हर इंसान के दिल में उठता है की आज लोग इतने मतलबी क्यूँ हो गए है ? इसमें ऐसी आश्चर्य वाली कोई बात नहीं है कि ऐसा क्यूँ है ? सच तो यही है कि संसार का हर रिश्ता जरुरत का रिश्ता है, हर प्राणी एक दुसरे से जरुरत के तहत जुडा हुआ है। जब प्राणी शिशु रूप में जन्म लेता है तब वो असहाय होता है, पुर्णत

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*** दुख व खुशियाँ***

3 फरवरी 2016
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मेरी खुशियाँ सिर्फ मेरी नहीं होती, बिखरा देती हूँ उन्हें अपने इर्द गिर्द।फिर जो भी आता मेरे दायरे में,,, वो उसकी भी खुशियाँ हो जाती हैं |भीग जाता,,, हो जाता सराबोर वो भी, उस खुशी की महक से । वो भीनी भीनी खुश्बू खुशी की, कर देती मजबूर उसे भी खुश हो जाने को। खुश हो कर खुशियाँ लुटाने को मेरे दुख सिर्फ

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वर्ण-पिरामिड

6 फरवरी 2016
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*जिंदगी*1.हैटेढीपहेलीजिंदगानीजो सुलझायेवही बना ज्ञानीशेष रहे अज्ञानी ==========*मधुर गान*2.हेरामअमृततेरा नाममधुर गानगाँऊ दिन रैनआये दिल को चैन===========*जीव*3.जोजीवजीवनजीता जाताजिंदादिली सेजरावस्था डरेजवान सदा रहे============*शीत लहर*4.लोआईठण्डकबेरहमशीत लहरढाती है कहरजिनके कच्चे घर=============*कम्

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~ शब्दों का नकारात्मक व सकारात्मक पहलू ~

6 फरवरी 2016
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शब्द ,वो है जो अगर सोच-समझकर ना बोले जाएँ तो बवाल मचा सकते हैं । शब्द वो हैं, जो किसी को तीखे तीर से भी गहरे घाव दे सकते हैं तो किसी दुखी हृदय के लिए मरहम भी बन सकते हैं । 'तोल-मोल के बोल ' और " ऐसी वाणी बोलिए ,जो मन का आपा खोय । औरन को शीतल करे,आपहूँ  शीतल होय ॥ " ये सब हमारे संत और ऋषि -मुनियों ने

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