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Shyam Nandan Pandey की डायरी

Shyam Nandan Pandey

5 अध्याय
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shyam nandan pandey kii ddaayrii

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पुस्तक के भाग

1

गांव शहर और हम

25 मई 2022
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समूचे विश्व को परम्पराओं, सभ्यताओं और संस्कृत से अवगत कराने वाला देश भारत जाति-पाति, भेद-भाव ऊंच-नीच काला- गोरा सब को समेटे हुए अनेकता में एकता और विविधता का प्रतीक बना हुआ है हमारा देश भारत। आज भारत

2

स्थायित्व (stability)

20 जनवरी 2023
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स्थायित्व stability (ब्रह्मांड का जर्रा जर्रा शान्ति, आराम और स्थायित्व चाहता है) ब्रह्मांड का हर कण दूसरे कण को आकर्षित अथवा प्रतिकर्षित करता रहता है सतत.. ताप,दाब और सम्बेदनाओं से प्रभावित टूटता-ज

3

कविता-कविता नहीं हूं मैं

21 जनवरी 2023
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कविता नही हूँ मैं,तीर सा चुभता शब्द हूँ मैं।शब्दों में पिरोई, मोतियों का गुच्छा हूँ मैं,शब्द नही शब्द का सार हूँ मैं ।।कटते पेड़ों की उन्मादी हवा हूँ मैं,प्रकृति का बिगड़ता संतुलन हूँ मैं।बाइबल हूँ, कुर

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कविता-अफसोस

21 जनवरी 2023
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अफ़सोसअफसोस होगा तुम्हे, यह जान करकि ऐसे भी जीते हैं लोग बिना संसाधनों के,भूखे और प्यासे भी।मजबूर अपनी मजबूरियों पर,रोते और बिलखते भी lशहर से दूर गांवों में औरगाँव से दूर भी जंगलों, पहाड़ों और बिरानियों

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कर्मण्य

29 जनवरी 2023
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दुनिया विश्राम स्थल नही बल्कि कार्यस्थल हैजिंदगी विचलने के लिए नहीं बल्कि कुछ कर दिखाने के लिए हैसंसार का हर कण अद्वितीय है और उसकी अपनी उपयोगिता है।किसी के लिए कोई चीज बेकार है तो कोई बेकार चीजों का

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