जब हम चलते चले जायेगे अगर।
चलते ही चले मगर।
सोचो क्या क्या हो सकता है।
रातों की नींद उड़ सकती हैं
दिन का चैन जा सकता हैं।
ना भुख लगेगी ना प्यास।
सोचो ऐसा हो ये अहसास।
हमेशा करते रहेगे भंगाडा।
लगेगा चल रहा हो लंगड़ा।
अजीब सी होगी बैचेनी।
जैसे बिना चुना का खैनी।
बिना रुके कहाँ से जा
पायेगे वाश रूम 😄😄😄