28 जनवरी 2015
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ढाई से ज्यादा दशक तक पूर्णकालिक पत्रकारिता(प्रभात खबर, हिंदुस्तान, अमर उजाला, पब्लिक एजेंडा) करने के बाद अब एक पब्लिशिंग हाउस में प्रबंध संपादक का दायित्व निभा रहा हूँ. जब तक अखबार में रहा, खूब लिखा, सब कुछ अपने मन की. एक कविता संग्रह भारतीय ज्ञानपीठ के पास लंबित है. एक यात्रा वृत्तांत इस साल पूरा हो जाने की उम्मीद है. कहते है, पत्रकार को हमेशा क्रियाशील रहना चाहिए. इसलिए सतत लिखने की उत्कंठा बानी रहती है. D
भावों को शब्दों का सुन्दर आकर दिया है आपने .
30 जनवरी 2015
मार्मिक भावों से युक्त रचना . सोमरी जैसे हज़ारों लोगों की व्यथा को आवाज़ देती रचना .आभार
30 जनवरी 2015