घनश्याम श्रीवास्तव
common.booksInLang
common.articlesInlang
ढाई से ज्यादा दशक तक पूर्णकालिक पत्रकारिता(प्रभात खबर, हिंदुस्तान, अमर उजाला, पब्लिक एजेंडा) करने के बाद अब एक पब्लिशिंग हाउस में प्रबंध संपादक का दायित्व निभा रहा हूँ. जब तक अखबार में रहा, खूब लिखा, सब कुछ अपने मन की. एक कविता संग्रह भारतीय ज्ञानपीठ के पास लंबित है. एक यात्रा वृत्तांत इस साल पूरा हो जाने की उम्मीद है. कहते है, पत्रकार को हमेशा क्रियाशील रहना चाहिए. इसलिए सतत लिखने की उत्कंठा बानी रहती है.