एक जिंदगी, हजार फसाने
पहाड़ों पर चमकती धूप फिसलती है, तो तराई का लिहाफ गर्म होता है। सुबह पेड़ों पर नामाकूल खगों को देखिए, तो कहां पता चलता है वे बीती रात कितनी, किससे दगाबाजी कर आये हैं। शाम को रात से कभी मिलना नहीं होता, तो वह गोधूलि की आड़ लेकर झट से गुम हो जाती है। गंवई मनई अपनी रौ में जीता है। बाजरे की रोटी खाकर मस्