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सोंधी मिट्टी से महकता पुराना मकान

7 जनवरी 2022

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मेरा पुराना मकान था, विशाल आम के पेड़ के पीछे,
जहां मेरा बचपन गर्मियों की छुट्टियां बिताता था।

मेरा पुराना मकान था खेतों के बीचों-बीच,
जहां मेरा बचपन हरियाली में खिलखिलाता था।

मेरा पुराना मकान था, गारे की चिनाई लिए,
जहां मेरा बचपन सोंधी मिट्टी सा महकता था।

मेरा पुराना मकान था, चिडियों की चहचहाहट लिए,
जहां मेरे बचपन के साथ एक जोड़ा भी घोंसला बनाता था।

मेरा पुराना मकान था, माँ-पापा का दुलार लिए,
जहां राखी पर पूरा गांव बेटी से राखी बंधवाता था। 

मेरा पुराना मकान था, मेरी सारी खट्टी-मीठी यादें लिए,
जिसका महज जिक्र भी, आँखों मे चमक दे जाता था।।


गीता भदौरिया

कविता रावत

कविता रावत

जेहन में बसी यादें कई मौकों पर बाहर ही जाती हैं बहुत सुन्दर

23 जनवरी 2022

रमा

रमा

बहुत खूब, पुराने मकान की खुश्बू आ गई।

7 जनवरी 2022

Nusarat J

Nusarat J

बहुत ही प्यारा लिखा है आपने।

7 जनवरी 2022

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