आप व्रत रखने और सजने-संवरने वाली है तो भी, और यदि भरपेट भोजन कर अपनी पत्नी के व्रत और शृंगार का साजो-सामान जुटाने वाले हैं तो भी, दोनो को ही करवाचौथ की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
आज एक एप ने 'घिसी चप्पल' विषय दिया। आज करवाचौथ के दिन यह विषय देकर उन्होंने जो चपलता दिखाई है वो कुछ नासमझों की समझदानी के बाहर का विषय है, पर हमें समझ आ गया क्योंकि हम खुद ही घिसे-पिटे हैं। खैर, विषय देखकर हमने अपनी चप्पलें चेक की कि कहीं उनमे छेद तो नहीं, क्योंकि इन लोगों के विषय देखकर हम आत्ममंथन की मुद्रा में आ जाते हैं। हमे लगता है कि सारे विषय हमे देखकर ही दिए जाते हैं।
तो मुद्दा ये है कि जितनी भी घिसी चप्पलें है, वह कल रात 12 बजे के बाद से अन्न-जल का त्याग किये सुबह से बच्चों और पतिदेव का मनपसंद नाश्ता और लंच बनाने में जुटी हैं, हमारी तरह। लेकिन नवीन पल्लवित ब्रांडेड चप्पलें सुबह 5 बजे सरगी खाने के बाद, बेबी बनी सोफ़े पर बैठ कर अपनी मेहंदी देख रहीं है और उनके फटे मोजे जोमैटो पर खाना आर्डर करके पार्क में डिलीवरी लेकर वहीं अपने पेट के चूहों को शांत कर रहें हैं। ज़मेटो का डिब्बा घर नहीं ला सकते नहीं तो बेबी ने अगर व्रत तोड़ दिया तो जिंदा रहने के लाले पड़ जाएंगे।
पर जनाब! मनपसंद बीबी और हस्बैंड पाने के लिए इन बेबीज ने SSC से लेकर UPSC तक खूब चप्पलें घिसी हैं तभी ब्रांडेड चप्पलें इनके नसीब में आई हैं। क्योंकि टूटा हुआ दिल और घिसी चप्पल अक्सर मंजिल तक पहुचा देतीं है।
चप्पलें यूं ही नहीं घिसती जनाब! सारी जिंदगी की जद्दोजहद, मेहनत, भाग-दौड़ और खून-पसीना लगता है। एक्सपीरिएंस की पहचान है घिसी चप्पल। इसीलिये कभी मां, कभी पिता, कभी मजदूर और कभी मेरे पैरों में नजर आती है घिसी चप्पल।
सभी को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं।
आपकी व्रती सखी
गीता भदौरिया