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स्वामी विवेकानन्द___पार्ट-2

1 नवम्बर 2021

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Part:-2
वैसे मैं धार्मिक चीजों पर कम ही लिखना पसंद करता हूँ।लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है की मैं नास्तिक हूँ।
मैं साइंस को मानता हूँ बाकी चीजों को काल्पनिक दृष्टि से मानने का मेरा नजरिया थोड़ा सा अलग है।
मैं बौद्ध धर्म को अनुयायी हूँ या ये कह दीजिए की इनसे मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ।
मुझे इनकी एक बात अच्छी लगी की इन्होने अपने आपको भगवान कभी नहीं माना और ना ही इन्होने कभी कहा की मेरी पूजा करो या मुझे भगवान मानो।इसलिए मेरी श्रद्धा इन पर कुछ ज्यादा ही है।
विवेकांनद जी पर जो भी मैं लिख पाया हूँ क्योंकि जो मैंने पढ़ा था वहीं बता पाया हूँ।
लेकिन कुछ तो बात रही होगी इनमे जरूर तभी हम इनको इतना मान सम्मान देते है।
 
अमेरिका मे इन्होने जिस तरह से हमारे देश का सम्बोधन किया वो काबिले तारीफ था।वहाँ पर इन्होने अपने टैलेंट का लोहा मनवाया था।जिस तरह से इन्होने फॉरेन लैंग्वेज मे अपने देश का मान बढ़ाया था उनसे मैं भी बहुत प्रभावित हुआ हूँ।मुझे आज भी याद है जब किसी महिला ने इनपर कुछ आरोप लगाए थे और इन्होने जिस तरह से उसका जवाब दिया था।जिससे सभी लोग बहुत खुश हुए थे।

त्रिभुवन गौतम s\o शिव लाल शेखपुर रसूलपुर चायल कौशाम्बी उत्तर प्रदेश इंडिया

11 अक्टूबर 2022

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रचनाएँ
स्वामी विवेकानन्द___
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Part:- 1 दोस्तों मैं एक साइंस का स्टूडेंट रहा हूँ।इसलिए मेरा ज्यादा झुकाव साइंस कि तरफ ही है।फिर भी मैं हिस्टॉरिकल चीजों पर लिखना मुझे अच्छा लगता है और वो महत्वपूर्ण विचारऔर किये गए काम जो दूसरों से अलग करती हो । और जब से मैं कॉम्पीटिशन कि तैयारी कर रहा हूँ तब से मुझे हिस्टॉरिकल चीजों से लगाव सा हो गया है मुझे इनके बारे मे पढ़ना और लिखना मतलब ये कह लो इनके बारे मे लिख कर मैं एक आत्मिक संतुष्टि पा लेता हूँ। स्वामी विवेकानंद वैसे तो एक चर्चित नाम है।और भारत में इन्हें एक देशभक्त सन्यासी के रूप मे जाना जाता है और इनके जन्मदिन को ही हम राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप मे हर साल मनाते हैं। उनकी प्रसिद्धि अमेरिका स्थित शिकागो मे 1893 मे आयोजित विश्व धर्म महासभा मे भारत की तरफ से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था... इनका वहाँ सबसे फेमस वर्ड "मेरे अमेरिकी बहनो एवं भाइयों" के लिए जाना जाता है। इनका जन्म 12 जनवरी 1863 को (कलकत्ता) कोलकाता मे एक कुलीन बंगाली कायस्थ परिवार में हुआ था। इनका झुकाव बचपन से ही अध्यात्म कि तरफ था ।वे अपने गुरु रामकृष्ण देव से काफी प्रभावित थे। इन्होने उनसे सीखा की सारे जीवों पर परमात्मा का ही अस्तित्व है और इसलिए मनुष्य जाती जो एक मनुष्य दूसरे मनुष्य की सेवा करता है वो परमात्मा की भी सेवा कर सकता है। रामकृष्ण कि मृत्यु के बाद विवेकानंद जी ने बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया और ब्रिटिश भारत मे मौजूदा स्तिथियों का गहन अध्यन किया। बाद मे विश्व धर्म संसद 1893 में भारत का प्रतिनिधित्व करने संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए प्रस्थान किया। विवेकांनद ने अमेरिका,इंग्लैंड और यूरोप मे हिन्दू दर्शन के सिद्धांतो का प्रसार किया। इनका एक कथन आज भी फेमस है___"उठो जागो और तब तक ना रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए"था। वैसे मैं धार्मिक चीजों पर कम ही लिखना पसंद करता हूँ।लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है की मैं नास्तिक हूँ। मैं साइंस को मानता हूँ बाकी चीजों को काल्पनिक दृष्टि से मानने का मेरा नजरिया थोड़ा सा अलग है। मैं बौद्ध धर्म को अनुयायी हूँ या ये कह दीजिए की इनसे मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ। मुझे इनकी एक बात अच्छी लगी की इन्होने अपने आपको भगवान कभी नहीं माना और ना ही इन्होने कभी कहा की मेरी पूजा करो या मुझे भगवान मानो।इसलिए मेरी श्रद्धा इन पर कुछ ज्यादा ही

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