Part:-2
वैसे मैं धार्मिक चीजों पर कम ही लिखना पसंद करता हूँ।लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है की मैं नास्तिक हूँ।
मैं साइंस को मानता हूँ बाकी चीजों को काल्पनिक दृष्टि से मानने का मेरा नजरिया थोड़ा सा अलग है।
मैं बौद्ध धर्म को अनुयायी हूँ या ये कह दीजिए की इनसे मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ।
मुझे इनकी एक बात अच्छी लगी की इन्होने अपने आपको भगवान कभी नहीं माना और ना ही इन्होने कभी कहा की मेरी पूजा करो या मुझे भगवान मानो।इसलिए मेरी श्रद्धा इन पर कुछ ज्यादा ही है।
विवेकांनद जी पर जो भी मैं लिख पाया हूँ क्योंकि जो मैंने पढ़ा था वहीं बता पाया हूँ।
लेकिन कुछ तो बात रही होगी इनमे जरूर तभी हम इनको इतना मान सम्मान देते है।
अमेरिका मे इन्होने जिस तरह से हमारे देश का सम्बोधन किया वो काबिले तारीफ था।वहाँ पर इन्होने अपने टैलेंट का लोहा मनवाया था।जिस तरह से इन्होने फॉरेन लैंग्वेज मे अपने देश का मान बढ़ाया था उनसे मैं भी बहुत प्रभावित हुआ हूँ।मुझे आज भी याद है जब किसी महिला ने इनपर कुछ आरोप लगाए थे और इन्होने जिस तरह से उसका जवाब दिया था।जिससे सभी लोग बहुत खुश हुए थे।
त्रिभुवन गौतम s\o शिव लाल शेखपुर रसूलपुर चायल कौशाम्बी उत्तर प्रदेश इंडिया