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तमन्ना ।

7 नवम्बर 2023

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 तमन्ना ये मान चुकी थी ।की उसे बेकारपन कुछ नही करना है ।इसलिए समझदारी से काम लेते हुए वो जायद से -ज्यादा समय अपनी पढ़ाई को देने लगी थी ।इसलिए वो हर। साल अच्छे नम्बरो से पास होने लगी थी । उसे ये बात समझ मे आ गई थी ।की अगर उसके अच्छे दिन कोई वापस ला सकता है ।तो वो उसकी पढ़ाई के अलावा और कोई नही ।फिर स्कूली शिक्षा समाप्त होते हीं उसका  नामांकन शहर के टॉप कॉलेज मे हो गया था ।घींच तीर कर तृप्ती भी उसी कॉलेज मे थी । वही जँहा तृप्ती की यंहा भी ढेर सारे दोस्त थे ।पड़ तमन्ना यंहा भी ।अकेली थी । कॉलेज की हर लड़की रविवार की छुट्टी को इंजॉय करने के लिए या तो फिल्म देखने जाती थी ।या अपने बॉयफ्रैंडे के साथ डेट पड़ जाती थी ।उनको जाता देख। कर कभी -कभी तमन्ना का भी मन करता की वो भी  कही घूमने जाती पड़ दूसरे हीं पल वो अपने आपको समझती तमन्ना ,तमन्ना ओ तमन्ना रिलेक्स तु तमन्ना है ,और तेरी सबसे बड़ी गलती यही है ,की तेरा नाम तमन्ना है ।इसलिए तेरी कोई तमन्ना पुरी नहीं  हो सकती समझी तु !इतना वो स्वंम से हीं    बोल  कर  स्वंम को समझा लेती थी। पड़ जब वो अपनी डायरी से बाते करती तो उसमे वो सच को पिरो हीं देती थी ।ऐसा नहीं था की उसके दिल मे कोई अरमान नहीं थे ।और सपने नहीं थे ।सपने और अरमानो का क्या ,ये तो ईश्वर की देन होती है जो अनायास हीं दुनियाँ के हर वक़्ति के हिर्दय मे पनपने लगता है ।फिर तमन्ना का हिर्दय बाकियो से बिपरीत थोड़े न था । जब कभी भी उसे अपने पापा के बर्ताव से सिकवा होती तो वो अपने हीं मन से ये सावल पूछ बैठती की जो इंसान उसकी माँ को इतना प्रेम करता हो !ऐसी क्या बात थी ,की वो इंसान उसी माँ की बेटी को मानो बोझ समझते थे ।इन सब सवालों का उसे कोई जबाब नहीं मिलता ।और वो अपने पिता की ओर आश्चर्य चकित नज़रो से देख कर फिर उन सब चीजों को इग्नोर करने की कोशिश करती ।फिर कभी ज़ब वो इन सब बातों से ज्यादा परेशान हो जाती तो ,वो माँ की तस्वीरों से बाते कर बोल उठती काश माँ आज होती तो वो उसके हर जबाब को सुलझा दिये होती ?या फिर मेरे लिए उनका प्यार इतना अटूट था ,की वो मेरी सवालों को सवाल बनने से पहले हीं उन सवालों को दफ़न कर देती ?कहने का तातपर्य ये था ,की  )माँ हीं तो थी ,जो उसके और पापा के बीच बंधे रिस्त्ते 
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत खूबसूरत लिखा है आपने बहन 😊🙏 कचोटती तन्हाइयां के भागों पर अपना लाइक 👍 कर दें 🙏😊

14 नवम्बर 2023

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रचनाएँ
तमन्ना
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तमन्ना का नाम तमन्ना उसकी माँ ने प्यार से रखा होगा या फिर उन्हे ये लगता था ,की तमन्ना नाम रखने से उनकी बेटी की हर तमन्ना पुरी हो जायेगी ये सोंच कर ये नाम रखा था ।तमन्ना बहुत छोटी थी जब उसकी माँ का देहांत उनकी बीमारी की वजह से हो गई थी । तमन्ना उस बक्त बहुत छोटी थी ।जब उसकी माँ चल बसी थी ।इत्तीफाक से उस दिन उसका जन्मदिन था ।नन्ही और मासूम तमन्ना को कुछ भी समझ मे नही आ रहा था ,की माँ चुप -चाप ज़मीन पड़ खामोश क्यो पड़ी थी ? उनकी हांथ मे अपनी लाडली तमन्ना के लिए जन्मदिन के लिए लाई गई तमन्ना की जैसी हीं प्यारी और मासूम सी एक गुड़िया थी । मासूम तमन्ना य ेनही समझ पाई थी , माँ उसे छोड़ कर चली गई थी ।उसने सोंचा माँ उसके साथ उसे सताने के लिए सरारत कर रहीं है । बस फिर क्या था ?वो माँ की हांथो से गुड़िया उठा कर कमरे मे चली गई ।ताकि माँ उसे स्वंम मनाने आएगी ? पड़ उसका ये भ्रम उस बक्त टूटता है ।जब माँ पुरा दिन कमरे मे उसे मनाने आई हीं नहीं थी ।

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