तमन्ना ये मान चुकी थी ।की उसे बेकारपन कुछ नही करना है ।इसलिए समझदारी से काम लेते हुए वो जायद से -ज्यादा समय अपनी पढ़ाई को देने लगी थी ।इसलिए वो हर। साल अच्छे नम्बरो से पास होने लगी थी । उसे ये बात समझ मे आ गई थी ।की अगर उसके अच्छे दिन कोई वापस ला सकता है ।तो वो उसकी पढ़ाई के अलावा और कोई नही ।फिर स्कूली शिक्षा समाप्त होते हीं उसका नामांकन शहर के टॉप कॉलेज मे हो गया था ।घींच तीर कर तृप्ती भी उसी कॉलेज मे थी । वही जँहा तृप्ती की यंहा भी ढेर सारे दोस्त थे ।पड़ तमन्ना यंहा भी ।अकेली थी । कॉलेज की हर लड़की रविवार की छुट्टी को इंजॉय करने के लिए या तो फिल्म देखने जाती थी ।या अपने बॉयफ्रैंडे के साथ डेट पड़ जाती थी ।उनको जाता देख। कर कभी -कभी तमन्ना का भी मन करता की वो भी कही घूमने जाती पड़ दूसरे हीं पल वो अपने आपको समझती तमन्ना ,तमन्ना ओ तमन्ना रिलेक्स तु तमन्ना है ,और तेरी सबसे बड़ी गलती यही है ,की तेरा नाम तमन्ना है ।इसलिए तेरी कोई तमन्ना पुरी नहीं हो सकती समझी तु !इतना वो स्वंम से हीं बोल कर स्वंम को समझा लेती थी। पड़ जब वो अपनी डायरी से बाते करती तो उसमे वो सच को पिरो हीं देती थी ।ऐसा नहीं था की उसके दिल मे कोई अरमान नहीं थे ।और सपने नहीं थे ।सपने और अरमानो का क्या ,ये तो ईश्वर की देन होती है जो अनायास हीं दुनियाँ के हर वक़्ति के हिर्दय मे पनपने लगता है ।फिर तमन्ना का हिर्दय बाकियो से बिपरीत थोड़े न था । जब कभी भी उसे अपने पापा के बर्ताव से सिकवा होती तो वो अपने हीं मन से ये सावल पूछ बैठती की जो इंसान उसकी माँ को इतना प्रेम करता हो !ऐसी क्या बात थी ,की वो इंसान उसी माँ की बेटी को मानो बोझ समझते थे ।इन सब सवालों का उसे कोई जबाब नहीं मिलता ।और वो अपने पिता की ओर आश्चर्य चकित नज़रो से देख कर फिर उन सब चीजों को इग्नोर करने की कोशिश करती ।फिर कभी ज़ब वो इन सब बातों से ज्यादा परेशान हो जाती तो ,वो माँ की तस्वीरों से बाते कर बोल उठती काश माँ आज होती तो वो उसके हर जबाब को सुलझा दिये होती ?या फिर मेरे लिए उनका प्यार इतना अटूट था ,की वो मेरी सवालों को सवाल बनने से पहले हीं उन सवालों को दफ़न कर देती ?कहने का तातपर्य ये था ,की )माँ हीं तो थी ,जो उसके और पापा के बीच बंधे रिस्त्ते