22 सितम्बर 2018
बहुत अच्छी रचना है | लिखती रहिये निरंतर , अनवरत | शुभ कामनाएं |
23 सितम्बर 2018
पी"आकर्षण माया,भ्रम में तर्क-वितर्क के उलझे क्रम में सुन मधुर गीत रूनझुन जोगी राह ठिठकी मैं चकराई रे!!!! प्रिय श्वेता -- लयमें बंधा ये अत्यंत सुंदर जोगी गीत मन्त्र मुग्ध कर गया | एक- एक शब्द मनभावन और बड़ा ही विद्वतापूर्ण है | इस रचना को समर्पित कुछ शब्द -------- सुनजोगन ! हुए किसके जोगी ? ये व्यर्थ लगन मत मन कर रोगी | पग जोगी के काल का फेरा - एक जगह कहाँ उसका डेरा ? कहीं दिन तो कहीं रात बिताये - बादल सा उड़ लौट ना आये | जिस जोगी संग प्रीत लगायी - करी विरह के संग सगाई !!!!!!!! इस अनुपम गीत के लिए मेरा प्यार |
22 सितम्बर 2018