19 सितम्बर 2018
प्रिय श्वेता -- बहुत ही सुंदर सरस गीत और कोमल शब्दावली -- मन्त्र मुग्ध हो पढती गयी जितनी सराहना करूं कम है -कितने प्यारे हैं सभी बोल -- मन अवगुंठन, हिय पट खोलो तुम खग ,तितली,भँवर संग बोलो तुम न मुरझाओ, मनवीणा मनमीत सुनो प्रेमिल रून-झुन इक गीत सुनो !!!!!!! - माँ सरस्वती इस लेखनी को सदा अपना आशीष दे | सस्नेह --
20 सितम्बर 2018
अच्छी रचना है |
20 सितम्बर 2018