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ठक्कर बापा (हिंदी)

स्वेता परमार 'निक्की'

2 अध्याय
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4 पाठक
24 मार्च 2023 को पूर्ण की गई
ISBN : 978-9389471045
ये पुस्तक यहां भी उपलब्ध है Amazon Flipkart

‘ठक्कर बापा’ अद्भुत व्यक्तित्व के स्वामी थे। लोगों का कहना था कि वे अपने आप में एक संस्था थे। वे जिस युग में थे, वहाँ समाज के दुर्बल अंग की उपेक्षा की जा रही थी; तब बापा ने दलितों और पिछड़े वर्ग को साथ लेकर प्रगति का रास्ता पकड़ा। उनकी अडिग लोक-सेवा ने हर दीन-दुःखी और गरीब को सम्मान दिया और उन्हें सबका बापा बना दिया। राष्ट्रपिता बापू भी उन्हें बापा ही कहा करते थे। अपने जीवन के अंतिम क्षण तक जिस अपूर्व निष्ठा, अनन्य भक्ति व अथक परिश्रम से उन्होंने अपना सेवा-व्रत निभाया, वह निस्संदेह बेजोड़ कहा जा सकता है। बापा विनम्रता और सरलता की मूरत थे; जब काका कालेलकर ने उनसे लेखन के लिए कहा तो वे बोले, ‘‘मेरे जीवन में ऐसा कुछ नहीं है, जो लिखने लायक हो।’’ उन्हें भाषण देना नहीं आता था और न ही वे साहित्यिक भाषा में लेख लिखते थे, बस उन्हें डायरी लिखने का शौक था। मानवता को सबसे बड़ा धर्म मानकर शोषित-उपेक्षितों के कल्याण और सुख के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करनेवाले सेवाव्रती कर्मयोगी ठक्कर बापा की प्रेरक-पठनीय जीवनी है यह पुस्तक| 

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‘ठक्कर बापा’एक आकर्षक और विचारोत्तेजक पुस्तक है जो ग्रामीण भारत में पारिवारिक रिश्तों की जटिलताओं और जीवन के संघर्षों की पड़ताल करती है। लेखक द्वारा पात्रों और उनके परिवेश का विशद वर्णन कहानी को जीवंत करता है, और कथानक आकर्षक और भावनात्मक रूप से गुंजायमान है। पुस्तक मानव अनुभव को रोशन करने के लिए कहानी कहने की शक्ति का एक वसीयतनामा है, और यह अंतिम पृष्ठ समाप्त करने के बाद भी पाठकों के साथ रहेगी। कुल मिलाकर, "ठक्कर बाबा" एक सम्मोहक पठन है जो निश्चित रूप से पाठकों की एक विस्तृत श्रृंखला को आकर्षित करेगा।


ठक्कर बापा के व्यक्तित्व पर आधारित बेहतरीन पुस्तक


ठक्कर बापा ने मेरे दिल की तारों को छू लिया! स्वेता परमार 'निक्की' की अद्भुत रचनाओं से ओतप्रोत होकर, मैंने एक नये साहित्य की मिसाल पाई है।

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