shabd-logo

तुम से मिलना अच्छा लगता है

24 जून 2022

17 बार देखा गया 17
empty-viewयह लेख अभी आपके लिए उपलब्ध नहीं है कृपया इस पुस्तक को खरीदिये ताकि आप यह लेख को पढ़ सकें
30
रचनाएँ
मन के जज़्बात ( मेरी कविताओं का संग्रह भाग 3)
0.0
इस पुस्तक में मैं अपनी कविताओं का संग्रह कर रहीं हूं जिससे मेरी सभी कविताएं एक साथ पाठकों तक पहुंच सकें मेरी कविताएं बहुयामी हैं।
1

मन का बंद दरवाजा

1 जून 2022
3
2
4

मन के बंद दरवाजे को तुम खुलने दो, मन की पीड़ा को बाहर निकलने दो, भरा है मन में जो आक्रोश, उस पर प्यार की ठंडी छांव पड़ने दो, बंद चीजें अपने अंदर सड़न पैदा करती हैं, मन की भावनाओं को क़ैद न करो, उन्हें

2

दिल की चाहत

2 जून 2022
1
1
0

जब तुम गए थे यह कहकर , फिर लौटकर आओगे, उस दिन से मैंने कभी, अपने मन के दरवाजे बंद नहीं किए, इस आस में पता नहीं तुम कब लौट आओ, न तुम आए न तुम्हारी कोई ख़बर आई, फिर भी मैं इंतज़ार करूंगी, तुम्हारे आने क

3

मृतक आत्मा की पुकार

2 जून 2022
1
0
0

अपने ही कंधों पर उठाएं, अपना शव चलते हैं लोग, बस झूठी मुस्कुराहट दिखाकर, जिंदा होने का अहसास कराते हैं लोग, जज्बातों को दफ़न किया, अहसासों को मार दिया, पत्थर सा कठोर हुआ, इस जग का हर मानव, जब अहसास नह

4

बागवान

3 जून 2022
1
0
1

घर की बगिया फूलों सी महकें, घर के माली की चाहत यह, हरा भरा हर कोना हो घर का, बागवान यह सपना देखे, सबका मन हो गंगा सा निर्मल, पावनता का मंज़र हो, बच्चे, बूढ़े, युवा सभी, सबकी बातों पर ध्यान लगाए, संस्क

5

बाग

3 जून 2022
0
0
0

अब न पहले सा मंज़र , न बागों का मोहक नज़ारा, न गुलाबों की अठखेलियां, न बेला की खुशबू, न हरश्रृंगार की महक वाली वो चादर, न कोयल के गीत , न पपीहे की बोली, न अमवा की डाली, न गोरी का झूला, न फूलों के बाग़

6

मन की बगिया

4 जून 2022
0
0
0

बागों के फूलों को जब देखूं मैं, मन में कसक एक होती है उस पल, कोमल सी कलियां खुशबू बिखेरें, आंखों को भाऐ मन गुदगुदाएं, कोई इन्हें दूर से देखता , मन में बसा प्यार आंखों से झलकता, कोई इनको मसले कदमों से

7

रेतीला जीवन

4 जून 2022
0
0
0

रेत कैसी भी हो, सुनहरी,काली या चांदी जैसी उज्जवल, यह मानव जीवन को परिभाषित,, करने का माध्यम भी, मानव संसाधन जुटाने के लिए, कर्म की भट्ठी में तपता है, फिर सुनहरे रेत सा चमकता है, अपने सुनहरे कर्म

8

मन की हसीन वादियां

4 जून 2022
0
0
0

हसीन वादियों का सौंदर्य, हिमगिरि से गिरते झरने, कल-कल करती नदियां, धरा पर फूलों की बिछी चादर, पक्षियों का होता कलरव, भंवरों का गुंजन करना, आंखों को आनंदित करते , पर मन की हसीन वादियां, स

9

मन का भ्रम

4 जून 2022
0
0
0

मन अपनी चंचलता से, जब ऊंची उड़ान भरने लगता, धरती अम्बर सब मेरा है, ऐसा विचार करने लगता, सब कुछ मेरी मुठ्ठी में है, मैं जो चाहूं कर सकता हूं, मेरी बुद्धि ताकत मेरी, मेरी क्षमता सर्वोपरि है, यह विचार जब

10

दो तथ्य

6 जून 2022
0
0
0

लूडो का खेल हमारे सम्मुख, दो तथ्यों को लाता, प्रथम तथ्य सिखलाता, जब मन में प्रेम बसा हो, सबको लेकर हम साथ चलें, आगे पीछे हो जाएं, फिर भी मन में विश्वास रहे, इक दूजे से हम नहीं जुदा, सबको साथ लेकर चलने

11

प्यार का मौसम

6 जून 2022
0
0
0

जब मन वीणा के तार , झंकृत हो जाएं, तब प्यार का मौसम, दिल को छू लेने को मचले, तब होंठों पर, रहस्यमई मुस्कान, आ जाए, मन के बजते, वीणा की मधुरिम, ताने प्यार के, नगमे गाएं, प्रेम गीत के, वह स्वर्णिम पल, म

12

ख्वाहिश

6 जून 2022
0
0
0

दिल के एक कोने में, छुपी थी मासूम सी ख्वाहिश, जिसे चाहा है, दिल ने मेरे, जिसे पूजा है हृदय ने मेरे, वह सदा दिल में, ही बसेगा, इक ख़्वाब के जैसे, ख्वाबों की ताबीर बन, मेरी धड़कन में समाएगा, मेरे ख्वाबो

13

मैं फूल हूं गुलाब का

12 जून 2022
0
0
0

मैं फूल हूं गुलाब का प्रेम के इज़हार का, प्रेमिका के बालों में, सजकर इठलाता हूं, शहीदों की समाधि पर, चढ़ गर्वित हो जाता हूं, प्रेम का इज़हार, मेरा दस्तूर है, हर हाल में खुश रहना, मेरा जुनून है, किसी क

14

बागों में बहार

12 जून 2022
0
0
0

बागों में है बहार का मौसम, दिल में वीरानी छाई है, तुम जबसे गए, देश पराए प्रियतम, बहारों ने भी खुशियां चुराई हैं, अब तो मन के, बाग में ख़िजाओं का मौसम है, बहारें बाग तभी, लुभाता है जब प्रियतम, का साथ ह

15

बहार

24 जून 2022
0
0
0

मन में खुशियों का नर्तन जब होता है, नयनों में मदहोशी जब आती है, पैरों की पायल जब छम-छम बजती है, माथे की उलझी लट, जब गोरी हाथो से सुलझाती है, जब हाथों का कंगना, प्रेम संगीत सुनाता है, जब झूलों की पेंगे

16

तारों की छांव में

24 जून 2022
0
0
0

मन का दर्पण जब टूटा, आवाज नहीं सुन पाया कोई, दर्द छुपा था सीने में, घाव भी गहरा लगा हुआ था, होंठों पर मुस्कान लिए, घूम रही थी आंगन में, दिन बीता जब रात हुई, छत पर जाकर बैठी जब गोरी, आंखों से आंसू की ब

17

तुम से मिलना अच्छा लगता है

24 जून 2022
0
0
0

तुम पास आकर जब, मुस्कुराते हो, प्यार का इज़हार, आंखों से करते हो, लब़ ख़ामोश रहते हैं, दिल बातें करता है, मेरी धड़कन की भाषा, तेरी धड़कन सुनती है, जज़्बातों का इक़रार, जज़्बात करते हैं, ख़ामोश रहकर भी

18

खो गए हम कहां

3 जुलाई 2022
1
0
0

हम खुद ही खोकर, ख़ुद को ढूंढते हैं, कभी जमीं पर ढूंढते हैं, कभी आसमां पर ढूंढते हैं, जो खुद छुपता है, ख़ुद से, उसे कौन ढूंढ सकता है, यहां हर व्यक्ति, दोहरा चेहरा दिए, ख़ुद को ढूंढता है, ख़ुद को पाने क

19

आकाश की लालिमा

3 जुलाई 2022
1
0
0

आकाश पर यह लालिमा क्यों छा गई ? क्या धरती का रक्तिम आंचल देखकर ? तेरे अंतर्मन की क्रोधाग्नि मुख मंडल पर आ गई ? पृथ्वी पर है ज्वालामुखी फूटा हुआ, विकराल लपटें उठ रहीं आकाश तक, धरती पर चारों ओर लाशें ज

20

दूर कहीं चलें

4 जुलाई 2022
1
0
0

जब मन के बंद दरवाजे से यादें , दस्तक देकर अंजाने ही बाहर निकल, कांरवा बन गुजरती हैं, तब बीते दिनों की कुछ यादें, मन को बहुत तड़पाती हैं, उस दर्द भरी दास्तां को भूलाने के लिए, मन उन यादों से दूर जाने क

21

उसका ख़त

4 जुलाई 2022
0
0
0

उसके ख़त का इंतजार था, जो इज़हारे मोहब्बत का, पैगाम लाए, दर्दे दिल, दर्दे बयां, करती हुई जुबां लाए, मोहब्बत का ज़ुनून, शब्दों में बयां हो, ऐसा गुलाबी ख़त आए, वर्षों से तड़पते, मोहब्बते दिल को फिर करार

22

ऊंचाइयां

6 जुलाई 2022
1
0
1

धरती से अम्बर तक जाऊं, हर दिल की यह अभिलाषा, मन की हर इक चाहत को, मानव पूरा कर सकता है, अपना लक्ष्य निर्धारित कर ले, कर्मभूमि को नमन करे, पुरूषार्थ उसे कैसा करना है, इसका भी उसको ज्ञान रहे, सत्य अहिंस

23

जीवन धारा

6 जुलाई 2022
0
0
0

हिमगिरि से निकली सरिता, धरती को संचित कर, मानव को जीवन देती है, अपने पथ पर चले निरंतर, बाधाएं कितनी भी आए, उसको विचलित न कर पाएं, पथरीली राहों को भी, अपनी शक्ति से पार करे, मान मिले अपमान मिले, इसकी च

24

मन गहरा समंदर

17 जुलाई 2022
0
0
0

समंदर से गहरा मन है हमारा, समंदर की गहराई मापी गई है, मन का समंदर नहीं मापा जाए, दिल का समंदर गहरा है इतना, इसमें उतरना मुमकिन नहीं है, दिल के समंदर में राज हैं गहरे, उनको समझना आसां नहीं है, जो आंखों

25

बिलंब

17 जुलाई 2022
1
0
0

यह जीवन क्षणभंगुर है , जिसको होता इसका ज्ञान, उसके जीवन में विलंब शब्द का, होता नहीं कोई स्थान, विलंब शब्द के गूढ़ रहस्य को, जो परिभाषित कर लेते, वह अनुशासित जीवन जीते, मन को विचलित कभी नहीं करते, गया

26

मंदाकिनी और मां

22 जुलाई 2022
0
0
0

मां का आंचल मंदाकिनी सा पावन , मां की ममता मंदाकिनी सी निर्मल, मां का स्पर्श मंदाकिनी सा शीतल, मां के शब्द मंदाकिनी की कल कल, मां की मुस्कान मंदाकिनी का सौंदर्य, मां का आशीर्वाद मंदाकिनी की जीवन धारा,

27

बूंदें पानी की

22 जुलाई 2022
0
0
0

पानी की बूंदों का मोल नहीं, यह होती हैं सबसे अनमोल। ओस बनी मोती सी दिखतीं, जीवन का बनती आधार। जब होंठों से छू जाती , मन की प्यास बुझातीं । जब झरनों से गिरती हैं, जीवन संगीत सुनाती । सीपी में जब गिरती

28

प्यार की अभिव्यक्ति

25 जुलाई 2022
1
1
1

मन की भावनाओं को व्यक्त करें कैसे ? वह ज़ुबां पर कहां आती हैं, दिल के कोने में दफ़न होकर, मन को तड़पातीं, दिल मचलता है उन्हें, होंठों पर लाने के लिए, फिर डर कर खामोश हो जाती हैं, होंठों पर आईं तो अफ़

29

वह सांवली सी लड़की

25 जुलाई 2022
0
0
0

सांवली सी सूरत मोहिनी सी मूर्ति, हर शाम दिखती सामने की छत पर, उसे देखने की चाहत लिए दिल में, हर शाम छत पे मैं जाता रहा, वह ढ़लता सूरज सुरमई सी शाम, जिसे देखकर दिल में कुछ होता रहा, पर उसनेे कभी नहींं

30

तुम्हारा वह आख़िरी ख़त

5 अगस्त 2022
2
0
0

तुम्हारा आखिरी ख़त आज भी मेरे पास है, ख़त लिखकर तुमने मुझे बताया था, मेरे पास अब तुम न आओगे, मेरे दिल की गलियों को , अपने प्यार से न महकाओगे, तुम एक ख्वाब थे जिसे मैं भूल जाऊं, ख्वाब देखा जा सकता है,

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए